chhattisgarh tribal tradition: अक्सर आपने सुना होगा कि लड़की पक्ष की तरफ से दहेज देते समय लड़की के माता-पिता अपनी बेटी को लाखों के बहुमूल्य सामान उपहार और रिवाज के तौर पर देते हैं ताकी उनकी बेटी और दामाद के जीवन यापन में सुविधाओं की कोई कमी न हो. लेकिन छत्तीसगढ़ की एक जनजाती ऐसी है जो बेटी को दहेज के तौर पर महंगे उपहार नहीं लेकिन जहरीले सांप देकर अपने परंपरा को अदा करते हैं.
यूं तो शादियों में आपने लड़की पक्ष की ओर से दहेज में दिए जाने वाले लाखों के सामान देखे होंगे जिसे बेटी और दामाद के सुखी जीवन यापन के लिए दिया जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसी भी जनजाती रहती है जो दहेज के तौर पर अपनी बेटी के ससुराल को नाग भेंट करती है.
सुनने में वाकई ये काफी अटपटा लगेगा क्योंकि जिस सांप को देखकर शरीर में डर और सिहरन पैदा होती है उसी जहरीले सांप को दहेज के रूप में भेंट करना तो अपनी सोच से भी परे है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में कई ऐसी जनजातियां गुजारा कर रही जिनकी अलग-अलग परंपराए और रिवाज ही उनकी पहचान बनी हुई है. उदाहरण के तौर पर छत्तीसगढ़ की संवरा जनजाति; जो आज भी पैसों और महंगे गाड़ी के बजाए दहेज में जहरीले सांपों को भेंट करने में विश्वास करते हैं.
दरअसल, कोरबा जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित मकुनपुर गांव में पिछले 40 सालों से संवरा जनजाति के लोग यहां अपनी जिंदगी जी रहे हैं. संवरा जनजाति के लोगों के लिए जहरीले सांप ना सिर्फ जीवन यापन करने का एक जरिया है बल्कि इन सापों से उनका गहरा नाता भी है.
बता दें कि छोटे-छोटे झुग्गियों में रहने वाले इन लोगों का एकमात्र सहारा ये सांप ही हैं जिनपर आश्रित होकर ही ये लोग घर के लिए दो रोटी का जुगाड़ करते हैं. कहा जाता है कि सांप लेकर घूमना और भीख मांगना इनकी पुश्तैनी परंपरा है जिसका पालन करना इनका कर्तव्य है.
अपने कर्तव्य का पालन करने की वजह से ही इस जनजाती में विवाह होने पर लड़की पक्ष द्वारा दहेज के तौर पर जहरीले सांप दिए जाते हैं. बता दें कि सांप देने का मकसद ही यही है कि सांप दिखाकर यह लोग अपनी जीविका चला सकें.
वैसे तो छत्तीसगढ़ में कई जनजातियां निवास करती हैं जिनके जीवन स्तर पर सुधार करने के लिए सरकार करोड़ों खर्च भी कर रही है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि संवरा जनजाति के लोग आज की आधुनिक युग में भी आधुनिकता तो छोड़िए विकास की मुख्यधारा से भी कोसों दूर हैं.
बता दें कि इस जगह पर करीब 20 परिवार ही निवास करती है जिन्हें सरकार की कोई सुविधा तक नहीं मिली है. अगर सरकारी योजनाएं इन तक पहुंचे तो शायद इनके जीवन में सुधार हो जाए.
डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सभी बातें मीडिया रिपोर्ट्स और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और काल्पनिक चित्रण का ZEEMPCG हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
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