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न मिट्टी, न चूना और न ही सीमेंट, सिर्फ पत्थरों पर टिका है छत्तीसगढ़ का ये मंदिर

chhattisgarh news-छत्तीसगढ़ में कई प्राचीन मंदिर हैं, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. इनमें से कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपने प्राचीन कला और रहस्य के लिए जाने जाते हैं. लोग इन मंदिरों के इतिहास और बनावट को देखने के लिए दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं. 

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मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर का घाघरा शिव मंदिर एक प्राचीन धरोहर है, जो घाघरा गांव में स्थित है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी तरह की जोड़ने वाली सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया है. 

 

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इस मंदिर के निर्माण में न मिट्टी, न चूना और न ही सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है. मंदिर का निर्माण पत्थरों के सटीक संतुलन के साथ एक के ऊपर एक रखकर निर्माण किया गया है. इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं भी प्रसिद्ध है. 

 

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इस प्राचीन मंदिर की एक और विशेषता यह है कि इसका स्वरूप झुका हुआ है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह प्राचीन शिव मंदिर है, लेकिन मंदिर में कोई मूर्ति मौजूद नहीं है. जो इसे और रहस्यमयी बनाता है. 

 

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शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मंदिर बौद्ध काल की विशेष वास्तुकला शैली में बनाया गया था, जो बाद में हिंदू परंपरा का हिस्सा बन गया. इस मंदिर में आज भी विशेष अवसरों पर पूजा-अर्चना होती है. 

 

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मंदिर के झुके हुए स्वरूप को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा किसी भूकंप या भूगर्भीय हलचल के कारण हुआ होगा. लेकिन हैरानी की बात तो ये कि सदियों बाद भी यह मंदिर मजबूती से खड़ा हुआ है. 

 

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यह प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का हिस्सा है. इस खास और अद्भुत मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से पर्टयक और शोधकर्ता आते हैं. 

 

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घाघरा मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी प्रमुख कस्बा जनकपुर है, जहां से घाघरा गांव आसानी से पहुंचा जा सकता है . यात्रा के दौरान आप छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद ले सकते हैं.

 

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