surguja unique tradition-छत्तीसगढ़ में जनजातीय समुदायों कई परंपराएं देखने को मिलती हैं. इनमें से कई परंपराएं बड़ी ही अजब-गजब और दिलचस्प हैं. ऐसी ही एक परंपरा सरगुजा जिले में निभाई जाती है, जहां मांझी जनजाति के लोगों को बारातियों का स्वागत करने का अंदाज बड़ा निराला है. मांझी जनजाति के लोग सज-धज कर नहीं बल्कि कीचड़ में लोटकर करते हैं.
सरगुजा के मैनपाट क्षेत्र में मांझी जनजाति में लड़की के भाई कीचड़ में लेटकर बारातियों का स्वागत करते हैं. लड़की के भाई बारात का स्वागत करने के बाद कीचड़ में नहाकर नाचते गाते हुए घर पहुंचते हैं. इसके बाद दूल्हे को हल्दी तेल लगाकर मंडप में आने का निमंत्रण देते हैं.
लड़की वाले बारातियों के स्वागत के लिए ट्रॉली भरकर मिट्टी मंगवाते हैं. मिट्टी को बारात के रास्ते में पलटकर कीचड़ में तब्दील करते हैं. इसके बाद लड़की के परिवार में जितने भी भाई होतें हैं वे सभी भैंस के समान पूंछ बनाकर कीचड़ से लथपथ हो जाते हैं.
इसके बाद बारात के पास पहुंचते हैं. गाजे-बाजे के साथ दुल्हन के भाई बारातियों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं और दूल्हे को तेल-हल्दी लगाते हुए मंडप की तरफ लेकर जाते हैं. मांझी जनजाति के बुजुर्गों का दावा है कि यह परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है.
इतना ही नहीं, यहां दूल्हा और दुल्हन से जानवरों की आवाजें भी निकलवाई जाती हैं. क्योंकि मांझी जनजाति के लोग अपने गोत्र का नाम पशु, पक्षियों के नाम पर रखते हैं. इनमें भैंस, मछली, नाम और अन्य प्रचलित जानवर हैं.
इस परंपरा की खास बात ये है कि लड़की वाले जिस गोत्र से आते हैं, उसी गोत्र के अनुसार अपने बारातियों का स्वागत किया जाता है. जैसे भैंस गोत्र से जुड़े लोग भैंस की तरह प्रतिक्रिया करते हैं. हाल ही में सामने आए वीडियो में यह देखने को मिला है.
मांझी जनजाति की इस अनोखी परंपरा को नई पीढ़ी आगे बढ़ा रही है. बुजुर्गों का मानना है कि महंगी और खर्चीली शादियों की बजाए उनकी ये परंपरा उन्हें प्रकृति से ज्यादा जोड़ती है. नई पीढ़ी के युवा अब सोशल मीडिया के माध्यम से इन परंपराओं का प्रचार भी कर रहे हैं.
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