मार्च 2021 में फाफाडीह के एक गोदाम से वन विभाग की टीम ने करीब 2 करोड़ रुपए की लकड़ी बरामद की थी. इस दौरान गोदाम में खैर लकड़ी के 1300 लट्ठे बरामद किए गए थे.
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चुन्नीलाल देवांगन/रायपुरः छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संपदा से भरपूर राज्य है. यही वजह है कि तस्करी का खतरा यहां लगातार बना रहता है. बता दें कि छत्तीसगढ़ का रायपुर बेशकीमती लकड़ी तस्करी का हब बनता जा रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते 10 सालों में वन विभाग ने तस्करी कर लाई गई 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की लकड़ी जब्त की है.
जिन लकड़ियों की तस्करी की जाती है, उनमें साल, सागौन के साथ ही खैर की लकड़ियां भी शामिल हैं. इन लकड़ियों की देश में काफी मांग है. बीते दिनों ही वन विभाग ने रायपुर के पचपेड़ी नाका पर अवैध रूप से ले जाई जा रही सागौन की लकड़ियां जब्त की थी. इससे पहले मार्च 2021 में फाफाडीह के एक गोदाम से वन विभाग की टीम ने करीब 2 करोड़ रुपए की लकड़ी बरामद की थी. इस दौरान गोदाम में खैर लकड़ी के 1300 लट्ठे बरामद किए गए थे. तस्करी की गई लकड़ी को देश के अलग-अलग इलाकों में भेजा जाता है.
बीते साल भी रायपुर में वन विभाग ने अलग-अलग छापों में करीब 35 लाख रुपए की लकड़ी जब्त की थी. इनमें एक ट्रक रक्त चंदन की लकड़ी भी थी. बता दें कि चीन में रक्त चंदन की लकड़ी से मंदिर बनते हैं. आशंका जताई गई थी कि हो सकता है कि रक्त चंदन की लकड़ी को चीन भेजा जा रहा था.
साल 2016 में विधानसभा रोड पर स्थित एक गोदाम से वन विभाग ने करीब 7 करोड़ रुपए की बेशकीमती लकड़ी बरामद की थी. रायपुर वन विभाग के डीएफओ विश्वेश कुमार ने बताया कि हाइवे के सहारे लकड़ियों की तस्करी की जाती है. विभाग द्वारा इन पर कार्रवाई भी की जाती है लेकिन बैरियर कम होने और रूट ज्यादा होने के चलते तस्कर अपने मंसूबों में सफल हो जाते हैं. वन विभाग मुखबिर से मिले इनपुट के आधार पर कार्रवाई करते हुए तस्करी रोकने की कोशिश की जा रही है.