छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में महिलाओं की 'No Entry', चौखट से ही कर सकेंगी पूजा-पाठ, ये है बड़ी वजह
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छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में महिलाओं की 'No Entry', चौखट से ही कर सकेंगी पूजा-पाठ, ये है बड़ी वजह

Balod News: बालोद जिले के ग्राम मिर्रीटोला स्थित गढ़ मौली देवी मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, जो आज भी एक रहस्यमय परंपरा के रूप में कायम है. यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है, जहां केवल 12 साल तक की लड़कियां ही मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं. 

 

मौली देवी मंदिर में महिलाओं की 'No Entry'
मौली देवी मंदिर में महिलाओं की 'No Entry'

Mauli Devi Mandir: छत्तीसगढ़ में एक ऐसी जगह है, जहां एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है, जो आज भी लोगों के बीच चर्चा का कारण बनी हुई है. बालोद जिले के एक छोटे से गांव में स्थित एक मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. इस देश में जहां महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, वहीं इस मंदिर में महिलाएं पूजा क्यों नहीं कर सकतीं और इसके पीछे कौन सी रहस्यमय परंपरा छिपी है, जानकर आपको भी चौंक जाएंगे.

इस गांव का नाम मिर्रीटोला हैं, जहां स्थित गढ़ मौली देवी का मंदिर एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसके चारों ओर एक दीवार बनी हुई है. यहां स्थित देवी की मूर्ति जमीन से उभरी हुई मानी जाती है और यह मूर्ति कई साल पुरानी है. स्थानीय लोग मानते हैं कि यह देवी धमतरी के गंगरेल में स्थित मां अंगारमोती की बड़ी बहन हैं और इस देवी को कुंवारी माना जाता है. इसी वजह से यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित किया गया है.

इन लोगों को है अनुमति
वहां लोगों का कहना है कि महिलाएं मंदिर के बाहर स्थित मुख्य द्वार पर पूजा करती हैं, लेकिन मंदिर के भीतर प्रवेश नहीं करतीं है. यहां केवल 12 साल तक की लड़कियों को इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति है, जबकि पुरुषों और बच्चों के लिए मंदिर का दरवाजा खुला है. यह परंपरा आज भी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जा रही है.

दशकों पुरानी है परंपरा
माना जाता है कि महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने से गांव में संकट आ सकता है और इसी के चलते महिलाओं का यहां आना मना किया गया है. यह मान्यता भी है कि मौली देवी खुद को कुंवारी मानती थीं और इसलिए यहां पर शादीशुदा महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंध है. यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और आज भी ग्रामीण इस परंपरा का पालन करते आ रहे हैं.

दूर-दूर से आते हैं श्रृद्धालु
इस मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और ग्रामीणों का मानना है कि मौली देवी के आशीर्वाद से गांव में शांति और सुरक्षा बनी रहती है. मंदिर के आसपास कई पेड़-पौधे भी लगाए गए हैं, जो इस स्थान की शांति और प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाते हैं. लोग मानते हैं कि मौली देवी की कृपा से यहां कभी कोई संकट नहीं आता और इस देवी के कारण ही गांव में शांति का माहौल है.

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