DNA टेस्ट बताएगा कि पति सही या पत्नी क्योंकि तलाक के तीन साल बाद पैदा हुआ बच्चा
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DNA टेस्ट बताएगा कि पति सही या पत्नी क्योंकि तलाक के तीन साल बाद पैदा हुआ बच्चा

पूरा मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट की दहलीज तक पहुंचा. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शख्स बच्चे का पिता है या नहीं? यह साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट कराना ही सबसे बेहतर तरीका है. कोर्ट ने ये भी कहा कि डीएनए टेस्ट से यह भी साबित हो सकता है कि पत्नी बेईमान, व्यभिचारी या बेवफा है या नहीं.

सांकेतिक तस्वीर

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पारिवारिक विवाद के एक मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि डीएनए टेस्ट से साबित कर सकते हैं कि पत्नी बेवफा है या नहीं. हमीरपुर के रहने वाले एक दंपत्ति का स्थानीय फैमिली कोर्ट से तलाक हो चुका था. तलाक के तीन साल बाद महिला ने मायके में बच्चे को जन्म दिया. उसने दावा किया कि बच्चा उसके एक्स हसबैंड का है, जबकि उसने अपनी पूर्व पत्नी के साथ शारीरिक संबंध होने से साफ तौर पर इनकार कर​ दिया.

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फैमिली कोर्ट ने दिया था डीएनए टेस्ट का आदेश
यह पूरा मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट की दहलीज तक पहुंचा. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शख्स बच्चे का पिता है या नहीं? यह साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट कराना ही सबसे बेहतर तरीका है. कोर्ट ने ये भी कहा कि डीएनए टेस्ट से यह भी साबित हो सकता है कि पत्नी बेईमान, व्यभिचारी या बेवफा है या नहीं. इस मामले में याचिकाकर्ता ने फैमिली कोर्ट हमीरपुर में अर्जी देकर अपनी पूर्व पत्नी का डीएनए टेस्ट कराए जाने की मांग की थी. फैमिली कोर्ट ने ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के आधार पर डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया था. हालांकि महिला ने डीएनए टेस्ट कराने से इनकार कर दिया. महिला ने हमीरपुर फैमिली कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. 

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पूर्व पति के वकील ने क्या दलील दी?
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान महिला के पूर्व पति के वकील ने जज को बताया, ''25 जून 2014 को महिला और मेरे मुवक्किल का तलाक हो चुका है. मेरे मुवक्किल का उनकी पूर्व पत्नी के साथ अब किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं है. वह अपने मायके में रह रही हैं. 26 जनवरी 2016 को महिला ने बच्चे को जन्म दिया. उनका कहना है कि बच्चा उनके पूर्व पति यानी मेरे मुवक्किल का है. जबकि मेरे मुवक्किल का 2014 से ही महिला के साथ शारीरिक संबंध नहीं रहा है. ऐसे में बच्चा उनका कैसे हो सकता है?'' दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने पूर्व पत्नी की याचिका खारिज कर दी. उन्होंने सच जानने के लिए बच्चे का डीएनए टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया.

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