कृषि कानून पर CM बघेल का PM मोदी पर शायराना तंज- वो कहते हैं रात है, लेकिन…
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कृषि कानून पर CM बघेल का PM मोदी पर शायराना तंज- वो कहते हैं रात है, लेकिन…

कृषि कानून के खिलाफ देशभर में किसानों का गुस्सा फूट रहा है. विपक्ष इस गुस्से को हवा देकर अपनी सियासी रोटियां सेंकने में लगा है. कांग्रेस कृषि बिलों को हथियार बनाकर लगातार मोदी सरकार की घेराबंदी कर रही है. शनिवार को राज्य में  धरना-प्रदर्शन किया गया.

फाइल फोटो

रायपुर: कृषि कानून के खिलाफ देशभर में किसानों का गुस्सा फूट रहा है. विपक्ष इस गुस्से को हवा देकर अपनी सियासी रोटियां सेंकने में लगा है. कांग्रेस कृषि बिलों को हथियार बनाकर लगातार मोदी सरकार की घेराबंदी कर रही है. शनिवार को राज्य में  धरना-प्रदर्शन किया गया. जिसमें सीएम बघेल ने शायराना अंदाज में पीएम मोदी को आड़े हाथों लिया. 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा  ‘’पीएम कहते हैं रात है, बीजेपी नेता कहते हैं रात है, उनके मंत्रिमंडल के साथी कहते हैं रात है, लेकिन ये सुबह-सुबह की बात है.’’ उन्होंने कहा कि पीएम मोदी झूठ कह रहे हैं कि  कृषि सुधार कानून किसानों के फायदे के लिए है.  समर्थन मूल्य सिर्फ 50 रुपये बढ़ाने से किसानों का आय कैसे दुगना होगा, विष्णुदेव साय और धरमलाल कौशिक बताएं कि केंद्र ने किसानों का बोनस रोका है कि नहीं? उन्हें ये भी बताना चाहिए कि गरीबों के चावल को केंद्र क्यों बंद करना चाहता है? स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट कब लागू होगी?. सीएम बघेल ने कहा कि एक राष्ट्र, एक बाजार के साथ अगर मोदी सरकार में हिम्मत है तो एक दर की भी घोषणा करें, फिर कोई आंदोलन नहीं होगा.

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वहीं धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया भी केंद्र सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि विपक्ष को दरकिनार कर 3 किसान विरोधी काले कानून बनाए गए हैं,  संविधान को और प्रजातंत्र को शर्मसार किया गया, सिर्फ कांग्रेस और किसान ही इन कानूनों का विरोध नहीं कर रही बल्कि आरएसएस से जुड़े संगठन ने भी विरोध किया है.

कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि हरियाणा के सीएम ने भी इन कानूनों का विरोध किया क्योंकि उन्होंने कहा कि हम बाहर से आने वाले फसलों की खरीदी नहीं करेंगे, यहां 2500 रुपये प्रति क्विंटल धान की खरीदी होती है, ऐसे में ओडिशा और अन्य पड़ोसी राज्यों से धान बिकने आएंगे लेकिन हम पूरे देश के धान क्यों 2500 रुपये प्रति क्विंटल खरीदे, कृषि राज्य का विषय है, केंद्र इसपर कैसे कानून बना देगी, संवैधानिक व्यवस्थाओं को बेवकूफ बनाने का काम किया गया, हेडिंग बदल-बदल के कानून बनाया गया है.

क्या है कृषि कानून 2020

कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020
इस के अनुसार किसान अपनी फसले अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं. यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है. यानी की एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं। फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, ऑनलाईन भी बेच सकते हैं. साथ ही अच्छा दाम मिलेगा.

मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020
देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी. किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे. इससे उम्मीद जताई जारही है कि किसानों की आय बढ़ेगी.

आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है. अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लगाया जाएगा.  इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा. 

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