छत्तीसगढ़ में विपक्ष के नेता और इस बार कांग्रेस पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार कहे जा रहे टीएस सिंह देव की एक खासियत ये है वे इस बार छत्तीसगढ़ सबसे अमीर प्रत्याशी हैं.
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छत्तीसगढ़ में विपक्ष के नेता और इस बार कांग्रेस पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार कहे जा रहे टीएस सिंह देव की एक खासियत ये है वे इस बार छत्तीसगढ़ सबसे अमीर प्रत्याशी हैं. सरगुजा के राजघराने से संबंध रखने वाले त्रिभुवनेश्वर सिंह देव जिन्हें आम बोलचाल में लोग टीएस बाबा कहते हैं, अंबिकापुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
सरगुजा के महाराज रामानुज शरण सिंह आजादी के बाद राजनीति में सक्रिय थे, हालांकि उनकी पारंपरिक सीट आरक्षित होने के बाद इस राज घराने ने चुनाव से दूरी बना ली. 2008 में जब अंबिकापुर की सीट एक बार फिर अनारक्षित हुई, तबसे इस राजघराने के वारिस टीएस सिंह देव इस सीट से विधायक हैं.
कितनी है संपत्ति
चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक टीएस देव की कुल संपत्ति 500 करोड़ रुपये से अधिक है. हालांकि टीएस देव अपनी इस विशाल संपत्ति को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं. बीबीसी हिंदी से एक बातचीत में उन्होंने कहा, 'ये कागज़ के आंकड़े हैं. ये पांच सौ करोड़ क्या हज़ार करोड़ के भी हो सकते हैं. मगर सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है आचरण. सबकुछ इस पर निर्भर करता है कि आप आम लोगों के साथ कैसे पेश आते हैं. उनमें कैसे घुलते-मिलते हैं या फिर भेदभाव करते हैं. उसी पैमाने पर आपको तोला जाता है.' अपनी दौलत के बारे में उन्होंने कहा कि यह सिर्फ ईंट और पत्थर की संपत्ति है, जो अब खंडहर हो रही है.
सीएम के लिए दावेदारी
आसपास के इलाकों में उनकी इज्जत काफी है और लोग उन्हें 'सरगुज़ा महाराज' कहकर बुलाते हैं. मुख्यमंत्री पद पर टीएस देव के दावे के इस बात से समझा जा सकता है कि बीजेपी के नेता दिलीप सिंह जूदेव के बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव ने टीएस सिंह देव को मुख्यमंत्री पद के लिए बेहतरीन उम्मीदवार बताया. हालांकि माना गया कि युद्धवीर ने अपनी पार्टी से नाराजगी जताने के लिए ये बयान दिया.
छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों विधानसभा चुनावों के परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे. छत्तीसगढ़ के जितने भी एक्जिट पोल आए हैं, उनके औसत के मुताबिक राज्य में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनती हुई दिख रही है. महा एग्जिट पोल में कांग्रेस पार्टी को 43 और बीजेपी को 42 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है. ये अंतर बेहद मामूली है, लेकिन अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में रहे 'सरगुजा महाराज' छत्तीसगढ़ के सरताज बन सकते हैं. हालांकि ये भी याद रखना चाहिए कि राजनीति अनिश्चितता का दूसरा नाम है.