रायपुर: माता कौशल्या की जन्मतिथि तय करने के लिए लगेगी धर्मसंसद, देशभर के धर्माचार्य लेंगे हिस्सा
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रायपुर: माता कौशल्या की जन्मतिथि तय करने के लिए लगेगी धर्मसंसद, देशभर के धर्माचार्य लेंगे हिस्सा

महंत राम सुंदर दास ने बताया कि रामनवमी पर धर्म संसद रखी जाएगी. जिसमें प्रदेश और देश के विद्वानों को बुलाया जाएगा.

महंत राम सुंदर दास ने बताया कि रामनवमी पर धर्म संसद रखी जाएगी.

रजनी ठाकुर/रायपुर: राजधानी रायपुर में माता कौशल्या की जन्मतिथि तय करने के लिए धर्म संसद लगाने की तैयारी की जा रही है. इस धर्म संसद में देश भर के विद्वान, ज्योतिष और धर्माचार्य हिस्सा लेंगे. धर्म संसद दूधाधारी मठ के महंत डॉ. राम सुंदर दास द्वारा बुलाई गई है. बता दें कि, इससे पहले रायपुर के महंत डॉ. राम सुंदर दास ने माता कौशल्या के जन्म की सही तारीख बताने वाले को 11 लाख की राशि इनाम में देने की घोषणा की थी. जिसके बाद देश भर से इस संबंध में प्रस्ताव आए हैं, जिनका अध्ययन करने के बाद माता कौश्लया की जन्मतिथि पर फैसला लिया जाएगा.

दरअसल, माता कौशल्या का जन्म कब हुआ था इसकी निश्चित तारीख क्या है इसे लेकर अलग-अलग मत हैं. साहित्यकारों ने अपने-अपने शोध के आधार पर माता कौशल्या की जन्म तिथि निर्धारित की है. जिसे लेकर एकमत नहीं बन सका है. इसलिए यह धर्म संसद आयोजित की जा रही है.

महंत राम सुंदर दास ने बताया कि रामनवमी पर धर्म संसद रखी जाएगी. जिसमें प्रदेश और देश के विद्वानों को बुलाया जाएगा. धर्म संसद में माता कौशल्या के जन्मतिथि के ऐलान के साथ ही भव्य जन्म महोत्सव भी मनाया जाएगा.

छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की है जन्मभूमि

छत्तीसगढ़ जिसे प्राचीन समय में दक्षिण कौशल कहा जाता था वह भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि है. माता कौशल्या से जुड़ाव के कारण ही भगवान राम को छत्तीसगढ़ का भांजा कहा जाता है और छत्तीसगढ़ में भांजे को विशेष आदर और सत्कार दिया जाता है. साथ ही प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है कि वनवास के दौरान भी भगवान राम माता सीता के साथ छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में लंबे समय तक रूके थे.
छत्तीसगढ़ में है एकलौता माता कौशल्या का मंदिर
दुनिया भर में माता कौशल्या का एकलौता मंदिर छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में है. चंदखुरी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 35 से 40 किलोमीटर दूर है. जहां कई 100 साल पुराना माता कौशल्या का मंदिर है. इस मंदिर में माता कौशल्या की मूर्ति है, जिसमें भगवान राम के बाल रूप को गोद में लिया हुआ है. गौरतलब है कि. दुनियाभर से लोग इस मंदिर को देखने पहुंचते हैं, यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस स्थान को राम वन गमन पथ के तौर पर विकसित कर रही है.

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