छत्तीसगढ़ चुनाव: 'बहूरानी' संयोगिता के कारण दांव पर लगी 'हार का जश्न' मनाने वाले राजा की प्रतिष्ठा!
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छत्तीसगढ़ चुनाव: 'बहूरानी' संयोगिता के कारण दांव पर लगी 'हार का जश्न' मनाने वाले राजा की प्रतिष्ठा!

छत्तीसगढ़ की चुनावी बिसात में चंद्रपुर की सीट खास है. इस सीट पर जशपुर राजघराने के दिलीप सिंह जूदेव की बहू और बीजेपी नेता युद्धवीर सिंह जूदेव की पत्नी संयोगिता सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.

दिवंगत बीजेपी नेता दिलीप सिंह जूदेव और उनकी बहू संयोगिता सिंह (फोटो- फेसबुक)

छत्तीसगढ़ की चुनावी बिसात में चंद्रपुर की सीट खास है. इस सीट पर जशपुर राजघराने के दिलीप सिंह जूदेव की बहू और बीजेपी नेता युद्धवीर सिंह जूदेव की पत्नी संयोगिता सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. दिलीप सिंह जूदेव छत्तीसगढ़ के हिंदुवादी नेता थे और वे नगर पालिका अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक कई पदों पर रहे. घूस लेने का आरोप लगने के बाद उन्हें केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि अपने क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता में कमी नहीं आई.

हार का जश्न!
जूदेव की पहचान आदिवासियों को दोबारा हिंदू धर्म में वापस लाने के अभियान के लिए थी. उन्होंने इसे 'घर वापसी'  अभियान' नाम दिया. वो बीजेपी के साथ ही आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े हुए थे. इस चुनाव में राजघराने से भले ही संयोगिता प्रत्याशी हैं, लेकिन प्रतिष्ठा दिलीप सिंह जूदेव की ही दांव पर लगी है. वो दिलीप सिंह जूदेव जो अपनी ही हार का जश्न मनाने वाले अनोखे नेता थे. 1988 में खरसिया उपचुनाव में कांग्रेस के सीएम अर्जुन सिंह के खिलाफ उन्हें प्रत्याशी बनाया गया था. अर्जुन सिंह बड़ी मुश्किल से 8000 वोट से जीत पाए. इसके बाद जूदेव ने अपनी हार के बावजूद भव्य जुलूस निकाला और जनता को धन्यवाद दिया.

राजनीति में तीसरी पीढ़ी
युद्धवीर सिंह जूदेव और संयोगिता सिंह के रूप में जुदेव राजघराने की तीसरी पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है. ये राजघराना रामराज्य परिषद, जनसंघ और बीजेपी से जुड़ा रहा. इस तरह उन्होंने दक्षिणपंथी राजनीति को थामे रखा है. चंद्रपुर सीट से युद्धवीर सिंह दो बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि राजनीति के जानकारों को उस समय हैरानी हुई जब इस बार बीजेपी ने यहां युद्धवीर की जगह उनकी पत्नी संयोगिता सिंह को टिकट देने का ऐलान किया.

इस क्षेत्र में राजघराने की अच्छी पकड़ है, हालांकि लोग इस बात से नाराज हैं कि पिछले 15 वर्षों से राज्य में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी यहां उम्मीद के मुताबिक विकास नहीं हुआ. कांग्रेस के उम्मीदवार रामकुमार यादव विकास को ही मुद्दा बना रहे हैं. पिछली बार वे करीब 6000 वोट से चुनाव हारे थे. दूसरी ओर संयोगिता का कहना है कि भले ही ये उनका पहला चुनाव है, लेकिन अपने पति के चुनाव में वे बराबर की भागीदार रही हैं और जीत उनकी ही होगी.

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