सेना के जवानों की ही तरह देश की सेवा के लिए काम कर रहे दूरदर्शन के कर्मचारी: राठौड़
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सेना के जवानों की ही तरह देश की सेवा के लिए काम कर रहे दूरदर्शन के कर्मचारी: राठौड़

साहू ने ऐसी जगह पर जान गंवाई है जहां से देश के दुश्मन यह संदेश देना चाहते हैं कि वे देश को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं. साहू के परिवार को यह नहीं लगना चाहिए कि वे अकेले रह गये हैं.

(फाइल फोटो)

नई दिल्लीः केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने 30 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में डीडी न्यूज के कैमरामैन अच्युतानंद साहू की मृत्यु पर दुख जताते हुए बुधवार को कहा कि दूरदर्शन के कर्मचारी सेना के जवानों की तरह देश की सेवा कर रहे हैं. राठौड़ यहां प्रसार भारती द्वारा साहू को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित शोक-सभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘कई मीडिया संस्थान हैं, लेकिन दूरदर्शन और डीडी न्यूज राष्ट्रीय प्रसारक हैं. जैसे सेना के जवान देश की सेवा में लगे हैं, ठीक वैसे ही हम भी देश की सेवा में लगे हैं.’’ 

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साहू का परिवार अकेला नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने कैमरों या कलम से कठिन क्षेत्रों को कवर करना होता है. आपके पास पूरे देश तक खबरें प्रसारित करने की जिम्मेदारी है.’’ राठौड़ ने कहा कि लोग समझने लगे हैं कि पत्रकार खबरें उन तक पहुंचाने के लिए किस तरह की कठिनाइयों का सामना करते हैं. सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा, ‘‘साहू ने ऐसी जगह पर जान गंवाई है जहां से देश के दुश्मन यह संदेश देना चाहते हैं कि वे देश को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं. साहू के परिवार को यह नहीं लगना चाहिए कि वे अकेले रह गये हैं.’’ 

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 उनके साहस और बहादुरी को समझता हूं
प्रसार भारती के चेयरमैन ए सूर्य प्रकाश ने कहा कि पत्रकार हमेशा जोखिम में होते हैं. उन्होंने कहा कि जब डीडी न्यूज के हमारे सहकर्मी विभिन्न कवरेज पर होते हैं तो मैं उनके साहस और बहादुरी को समझता हूं. क्षेत्र में काम करने वाले हम पत्रकार जोखिम में रहते हैं. 1980 के दशक का पंजाब हो या बाद में कश्मीर हो अथवा हमारे खुद के असाइनमेंट पर जाना हो. काम हमेशा मुश्किल भरा होता है. साहू के साथ छत्तीसगढ़ दौरे पर रहे दूरदर्शन में सेवारत मोरमुकुट शर्मा (35) ने कहा कि उन्हें तो लगा था कि नक्सली हमले में वह भी नहीं बचेंगे. 

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विधानसभा कवरेज
शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने हाथ से एक गड्ढा खोदा ताकि उसमें छिप सकें. ‘‘अगर सिर उठाऊं तो गोलियां मुझे भेद देतीं और वहीं लेटे हुए लाल चींटियां मुझे काट रहीं थीं.’’ शर्मा के साथ पत्रकार धीरज कुमार भी नक्सली हमले में बाल-बाल बच गये. लेकिन उनके सहयोगी साहू की हमले के कुछ मिनट के भीतर ही गोली लगने से मौत हो गई. दूरदर्शन की यह टीम छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के कवरेज के लिए वहां गयी थी.

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