SP की शहादत के 10 साल बाद भी घर के बाहर तैनात हैं जवान, बंगले और गाड़ी की भी सुविधा
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SP की शहादत के 10 साल बाद भी घर के बाहर तैनात हैं जवान, बंगले और गाड़ी की भी सुविधा

मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित वो शहीद जिन्होने राजनांदगांव के पुलिस कप्तान रहते हुए अपनी टीम की अगुआई करते हुए 12 जुलाई 2009 को नक्सल मोर्चे के दौरान अपनी जान शहीद कर दी.  

10 साल पहले नक्सली हमले में शहीद हो गए थे SP वीके चौबे.

सत्य प्रकाश/रायपुरः छत्तीसगढ़ में एक एसपी की शहादत को पिछ्ले 10 सालों से अनोखे तरह से सम्मान दिया जा रहा है. नक्सली हमले में एसपी की शहादत के 10 साल बाद भी सेवा में 6 जवान तैनात है, गाड़ी और बंगले की सुविधा मिल रही है. छत्तीसगढ़ पुलिस महकमा पिछ्ले 10 सालों से ये अनूठी श्रद्धांजलि दे रही है. छत्तीसगढ़ के नक्सल ऑपरेशन में देश के पहले शहीद एसपी विनोद कुमार चौबे को. मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित वो शहीद जिन्होने राजनांदगांव के पुलिस कप्तान रहते हुए अपनी टीम की अगुआई करते हुए 12 जुलाई 2009 को नक्सल मोर्चे के दौरान अपनी जान शहीद कर दी.  

ऐसे में छत्तीसगढ़ पुलिस ने उस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है जिसमें कहा गया है कि 'न शहादत बेकार जाती है और ना ही शहीद कभी मरा करते हैं' दरअसल, 10 साल पहले राजनांदगांव जिले के घोर नक्सल प्रभावित इलाके मदनवाड़ा कोरकोट्‌टी में एसपी वीके चौबे ने एक नक्सली हमले में अपनी जान गंवा दी थी. देश में ये पहला नक्सली हमला था, जिसमें कोई एसपी शहीद हुआ था. इस नक्सल हमले में 29 जवान शहीद हुए थे. छत्तीसगढ़ पुलिस ने एसपी के शहादत के 10 साल बीत जाने के बाद भी उनके रुतबे और मान को बरकरार रखा है. 

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रायपुर के देवेंद्र नगर के आफिसर्स कॉलोनी में मौजूद एसपी चौबे का बंगला डी 2/39 आज भी उनके नाम पर ही है. बंगले के बाहर नेम प्लेट पर आईपीएस विनोद कुमार चौबे उनके जीवनकाल की तरह अंकित है. बंगले पर 6 जवानों की तैनाती रहती है, जो उसी तरह सेवा दे रहे हैं, जैसे एसपी के रहते उन्हें दिया करते थे. और तो और उनके ऑफिस और गाड़ी को भी बिल्कुल वैसे ही रखा गया है.

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बता दें कि तत्कालीन डीजीपी विश्वरंजन ने ये फैसला लिया था और इसे शहीद चौबे के रिटायरमेंट की तारीख तक यथावत रखा जाएगा. एसपी चौबे अगर जीवित रहते, तो इस साल 22 सितंबर को रिटायर होते, लेकिन पुलिस विभाग ने उन्हें शहादत के बाद अमर माना और उन्हें सेवा काल के दौरान मिलने वाली गाड़ी, बंगले, गार्ड और जवानों की सुविधा को यथावत रखा. जवान रोज की तरह ड्यूटी पहुंचते हैं, ऑफिस की साफ-सफाई समय पर होती है.

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क्या थी घटना?
12 जुलाई 2009 को राजनांदगांव से 100 किमी दूर मानपुर के मदनवाड़ा में नक्सलियों ने दो जवानों को गोली मार दी थी, सूचना पर एसपी चौबे जवानों को साथ लेकर तत्काल मौके के लिए रवाना हुए थे, लेकिन उनके पहुंचने से पहले ही कोरकोट्‌टी में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट किया. इससे गाड़ी अनियंत्रित हो गई और मौका देख नक्सलियों ने सड़क की दोनों तरफ से गोलियां बरसानी शुरू कर दी. जिसमें एसपी चौबे सहित 29 जवान शहीद हो गए थे. बिलासपुर में हाल ही में एक मार्ग का नाम शहीद चौबे के नाम पर रखा गया है और जल्द ही उनकी प्रतिमा का अनावरण भी होने वाला है.

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आज शहीद वीके चौबे की दसवीं बरसी है, सभी उनकी शहादत को याद कर रहे हैं. चौबे के सरकारी बंगले पर उनके बेटे शौमिल चौबे ने पिता पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया. मीडिया से बातचीत में शौमिल ने पिता की कही बात याद करते हुए कहा कि वो सेवा में इतने समर्पित थे कि कई-कई दफा एक हफ्ते बाद घर आते थे, हम जब उनसे कहा करते थे कि नक्सल इलाकों में नहीं जाया कीजिए तो कहते थे मैं पुलिस कप्तान हूं, मैं नहीं जाऊंगा तो बाकी कैसे जायेंगे.

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