झीरम घाटी हमले में मारे गए नेताओं के परिजनों ने की SIT जांच की मांग, कहा-NIA ने की खानापूर्ति
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झीरम घाटी हमले में मारे गए नेताओं के परिजनों ने की SIT जांच की मांग, कहा-NIA ने की खानापूर्ति

झीरम घाटी हमले में मारे गए नेताओं के परिजनों ने SIT(Special Investigation Team)जांच की मांग की है. परिजनों का कहना है कि NIA (National Investigation Agency)ने ठीक से जांच नहीं की है. NIA ने इस हत्याकांड को कोई साधारण नक्सली घटना समझकर जांच की है.

फाइल फोटो

रायपुर: साल 2013 में  झीरम घाटी हमले में मारे गए नेताओं के परिजनों ने SIT(Special Investigation Team)जांच की मांग की है. परिजनों का कहना है कि NIA (National Investigation Agency)ने ठीक से जांच नहीं की है. झीरम हमले में मारे गए नेताओं के परिजन जितेंद्र मुदलियार, तूलिका कर्मा, मोहम्मद साहिद, हर्षित शर्मा, दौलत रोहड़ा ने आज पीसी करने के बाद मांग की है.

बता दें कि झीरम घाटी हमले में मारे गए तमाम कांग्रेस नेताओं की हत्या की जांच NIA को सौंपी गई थी. जिसपर उदय मुदलियार के परिवार के सदस्य जितेंद्र मुदलियार ने कहा कि झीरम हमला कोई बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र था. जिसमें लीपापोती हुई है. NIA ने ठीक से जांच नहीं की है. 

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जितेंद्र का कहना है कि NIA ने इस हत्याकांड को कोई साधारण नक्सली घटना समझकर जांच की है. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया था और प्रदेश की जनता से ये बात छुपाई गई. 

उनका ये भी कहना है कि NIA ने इस हत्याकांड की जांच में  खानापूर्ति की. NIA ने गिरफ्तार किए लोगों से पूछताछ तक नहीं की, बल्कि NIA राजनीतिक लोगों को बचाने पर जुटी हुई है.

तूलिका कर्मा जो महेंद्र के परिवार की सदस्य हैं, उनका कहना है कि यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का ना होना जांच का विषय है. तूलिका ने कहा कि जिस समय हमला हुआ था तब  महेंद्र कर्मा zप्लस सुरक्षा की श्रेणी में आते थे फिर भी सुरक्षा क्यों नहीं बरती गई?

मारे गए नेताओं के परिजनों ने कहा कि जिस दिन ये घटना घटी थी, उस दिन से सबका मानना यही है कि आपराधिक राजनीति षडयंत्र है. सभी लोग इसकी सही जांच चाहते हैं. राज्य सरकार भी इस मामले में SIT जांच चाहती है. 

आपको बता दें कि साल 2013 में 25 मई के दिन ही झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं और उनकी सुरक्षा में तैनात जवानों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था. इस नक्सल हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

झीरम घाटी नक्सली हमले में 32 लोगों की जान गई थी. दिग्गज कांग्रेसी नेता महेन्द्र कर्मा और तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल की इस हमले में मौत हो गई थी. यह हमला बस्तर जिले के दरभा इलाके के झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा काफिले पर हुआ था. आपको बता दें कि इस हमले को कांग्रेस सुपारी किलिंग करार देती है. कांग्रेस ने राज्य की सत्ता में आने के बाद दोबार इस नक्सली हमले की जांच शुरू कराई है.

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