खुद को रावण का वंशज मानता है ये परिवार, दशहरा पर करता है पूजा-पाठ
सतना में एक परिवार रावण का दहन करने की बजाय उसको पूजता है. इतना ही नहीं ये लोग रावण को अपना रिश्तेदार मानते हैं.
संजय लोहानी/सतना: भारत अद्भुत परंपराओं और संस्कृति से भरा देश है. जहां पूरे देश में दशहरा को धूमधाम से मनाया जाता है, बुराई पर सच्चाई की जीत स्वरूप रावण का पुतला दहन किया जाता है. वहीं दूसरी तरफ सतना में एक परिवार रावण का दहन करने की बजाय उसको पूजता है. इतना ही नहीं ये लोग रावण को अपना रिश्तेदार मानते हैं. पुराणों में किए गए उल्लेख के अनुसार रावण महाज्ञानी और पंडित था, जिसकी वजह से कई जगहों पर रावण को पूजा जाता है.
रावण को पूजने वाले रमेश मिश्रा का कहना है कि उनका परिवार रावण का वंसज है, इस लिए उनकी पूजा करते हैं. रमेश का कहना है कि रावण सबसे ज्ञानी थे. उन्होंने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं को अपनी तपस्या से खुश किया था. रावण के लिए ही भगवान राम की लीला रची गई और रावण का अंत किया गया. रावण में अहंकार भले रहा हो पर उनकी भक्ती, तप और ज्ञान पूजने लायक है. इसलिए ये लोग रावण को पूजते हैं.
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वहीं इस परिवार के लिए रावण की पूजा करने वाले पंडित का कहना है कि ये लोग पिछले 40 सालों रावण को पूज रहे हैं. रनेही निवासी रमेश मिश्रा और उनका परिवार कोठी थाने परिसर में बनी वर्षों पुरानी रावण की प्रतिमा की पूजा करता चला आ रहा है. रमेश के परिवार के अलावा भी गांव के काफी लोग खुद को रावण का रिस्तेदार मानते हैं.
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