छत्तीसगढ़ के किसान अब नहीं जलाएंगे पराली, निपटान के लिए लेंगे इस मशीन की मदद
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छत्तीसगढ़ के किसान अब नहीं जलाएंगे पराली, निपटान के लिए लेंगे इस मशीन की मदद

किसानों को ऐसी मशीन्स के बारे में बताया जा रहा है, जिससे किसानों को ना तो पराली जलानी पड़ेगी और ना प्रदूषण होगा.

बेलर-मल्चर मशीन की खासियत है कि इससे किसान को खेत में फसलों के अवशेषों को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती.

धमतरी: बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पराली को लेकर छत्तीसगढ़ में भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है. यहां के किसानों को ऐसी मशीन्स के बारे में बताया जा रहा है, जिससे किसानों को ना तो पराली जलानी पड़ेगी और ना प्रदूषण होगा. धमतरी में कृषि विभाग ने पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए बेलर-मिल्चर मशीन का डेमो दिखाया और किसानों को जागरूक किया.

आमतौर पर देखा गया है कि किसान फसल कटाई के बाद अपने खेतों में आग लगा देते हैं, जिससे निकलने वाले धुएं से पर्यावरण के साथ-साथ इंसान भी प्रभावित होते हैं. ऐसे में कई राज्यों में सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगा दी है. वहीं, धमतरी में प्रशासन और कृषि विभाग किसानों को लगातार जागरूक कर रहा है. साथ ही बेलर-मिल्चर मशीन के बारे में भी बता रहा है. पैरा फसल अवशेष न जलाने और पैरादान के विकल्प के रूप में बेलर-मल्चर मशीन का सुराजी ग्रामों में प्रदर्शन किया गया. वहीं, 24 नवंबर को हंचलपुर गौठान में भी किसानों के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया.

बेलर-मल्चर मशीन की खासियत है कि इससे किसान को खेत में फसलों के अवशेषों को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती. इस मशीन के सहारे 30 से 35 किलो के पैरा बंडल तैयार किए जाते हैं. ये मशीन करीब डेढ़ से दो मिनट में एक पैरा बंडल तैयार करती है. जिससे किसानों का समय भी बचता है. गौरतलब है कि अभी तक इस मशीन का इस्तेमाल मध्यप्रदेश और पंजाब के साथ-साथ कई अन्य राज्यों के किसान करते आ रहे हैं. वहीं अब इस मशीन्स का डेमो देखकर छत्तीसगढ़ के किसान और जनप्रतिनिधि भी काफी प्रभावित हुए हैं. और छत्तीसगढ़ सरकार से जल्द मशीन दिए जाने की मांग कर रहे हैं. 

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