जब अटल जी ने हल्के नाश्ते में बनवाए प्याज के पकौड़े, बोले- जो तेल पर तैरे उससे हल्का क्या होगा
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जब अटल जी ने हल्के नाश्ते में बनवाए प्याज के पकौड़े, बोले- जो तेल पर तैरे उससे हल्का क्या होगा

अटल बिहारी वाजपेयी खाने-पीने के बेहद शौकीन थे. उनके खान-पान से जुड़े अनेक किस्से बहुत मशहूर हैं. हम आपको ऐसे ही कुछ किस्सों के बारे में बता रहे हैं...

खाना पकाते अटल बिहारी वाजपेयी. (फाइल फोटो)

भोपालः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है. इस अवसर पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. संस्कारित राजनीति के प्रतीक अटल जी एक ऐसी शख्सियत थे जिन्हें खाने-पीने का बेहद शौक था. ग्वालियर में बहादुरा के लड्डू हों या अग्रसेन पार्क के पास फुटपाथ पर मिलने वाली मंगोड़ी या फिर दिल्ली के पराठे. अटल जी की जीभ पर इनके जायके का राज होता था. 

जब हल्के नाश्ते में अटल जी ने बनवाए प्याज के पकौड़े
खाने-पीने से जुड़ा अटल जी का एक किस्सा बहुत मशहूर है. जमशेदपुर के प्रसिद्ध वकील खजांचीलाल मित्तल उनके अच्छे दोस्त थे. बात 1967-68 की है, अटल जी लोकसभा चुनाव के प्रचार के सिलसिले में जमशेदपुर पहुंचे थे. वह यहां सुखलालजी सोनारी के निवास पर रुके. सुबह जब वह अपने मित्र मित्तल जी के घर पहुंचे तो उनके लिए मारवाड़ी नाश्ते का प्रबंध किया गया था. लेकिन अटल जी ने कहा कि वह तो हल्का नाश्ता करेंगे.

मित्तल जी ने पूछा हल्के नाश्ते में आप क्या लेना पसंद करेंगे. तो अटल जी ने कहा, ऐसा करिए प्याज के पकौड़े बनवा दीजिए. उनके इस जवाब पर सब हैरान रह गए. भला प्याज के पकौड़े हल्का नाश्ता कैसे हो गए. अटल जी से फिर पूछा गया यह हल्का नाश्ता कैसे हुआ. इस उन्होंने जवाब देते हुए कहा, "जो चीज तेल के ऊपर तैर जाए उससे हल्का और क्या होगा." फिर उन्होंने जोर से ठहाका लगाया, उनके साथ मित्तल जी और अन्य लोग भी हंसने लगे.

मंगौड़े वाली चाची को लौटाई उनकी दुकान 
ग्वालियर शहर में अटल बिहारी वाजपेयी का बचपन बीता था. शहर के फेमस बहादुरा की दुकान के लड्डू और अग्रसेन पार्क के पास फुटपाथ पर मिलने वाले चाची के मंगौड़े उन्हें बहुत पसंद थे. ग्वालियर के दौलतंगज के अग्रसेन पार्क के बाहर (रामदेवी चौहान) जिन्हें लोग मंगौड़े वाली चाची कहते थे, अटल जी इस दुकान पर अपनी मां के साथ मंगौड़े खाने जाया करते थे. आज भी मंगौड़े वाली चाची के बेटे रामू उसी स्थान पर दुकान चलाते हैं.

साल 2004 में प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद अटल जी जब अपना जन्मदिन मनाने ग्वालियर पहुंचे तो उन्होंने सर्किट हाउस पर मंगौड़े वाली चाची को मिलने बुलाया. अटल जी उन्हें देखकर भावुक हो गए और एक लाख रुपए का चेक देने लगे. इस पर चाची ने कहा कि उन्हें पैसा नहीं चाहिए. बल्कि वह जगह चाहिए जहां वह मंगौड़े का ठेला लगाती हैं.

दरअसल, अतिक्रमण के चलते प्रशासन ने उनकी दुकान  को हटा दिया था. अटल जी ने तुरंत प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को फोन लगाया और चाची की दुकान उसी जगह पर लगाने के लिए कहा. अग्रसेन पार्क के बाहर फुटपाथ पर मंगौड़े वाली चाची के नाम से यह प्रसिद्ध दुकान आज भी लग रही है. 

बेहद पसंद थे बहादुरा के लड्डू
ग्वालियर में शिंदे की छावनी में अटल जी का बचपन बीता था. नया बाजार में बहादुरा स्वीट्स के नाम से लड्डू की दुकान थी. अटल जी को यहां के लड्डू बेहद पसंद थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनका यह जायका नहीं छूटा. वह जब भी ग्वालियर आते थे यहां लड्डू जरूर खाते थे. अटल जी आते तो बहादुरा के दुकान पर लड्डुओं के साथ हंसी-ठहाकों का दौर चलता था. उनके भांजे अनूप मिश्रा जब भी दिल्ली जाते तो उनके लिए यहां से लड्डू ले जाना नहीं भूलते थे. 

फूड इंस्पेक्टर से की भतीजी की शादी 
अटल बिहारी वाजपेयी की एक भतीजी की शादी उन्होंने मध्य प्रदेश के सागर में की थी. अटल जी ने कहा चलो अच्छा है भतीजी की शादी फूड इंस्पेक्टर के घर में हुई है तो खाने-पीने की कोई कमी नहीं होगी. खास बात यह है कि अटल जी जब सागर पहुंचे तो उन्हें यहां की प्रसिद्ध चिरौंजी की बर्फी खिलाई गई. इसका जायका उन्हें इतना पसंद आया कि वह जब भी सागर पहुंचते, चिरौंजी की बर्फी जरूर खाते.

मुशर्रफ को खिलाया था हिंदुस्तानी जायका 
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ जब आगरा आए तो अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके भोजन का विशेष इतंजाम करवाया. अटल जी ने तब कहा था कि पाकिस्तान के लोगों को लाहौर की खाऊगली पर बहुत नाज है. लेकिन उन्हें यह बताना जरूरी है कि सारा बेहतरीन खाना सरहद पार नहीं गया. कुछ विरासत हिंदुस्तान में भी मौजूद है. 

जयललिता को खिचड़ी खिलाकर बचा ली थी सरकार
पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने एक बार बताया था कि अटल जी खिचड़ी बहुत स्वादिष्ट बनाते थे.  एक बार खाने की मेज पर तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने उनके हाथ से बनी खिचड़ी खाई और यहां से उस वक्त सरकार पर आए राजनीतिक संकट के समाधान की राह निकली थी. यानी अटल जी अपने खान-पान के शौक से बड़े-बड़े मुद्दे भी सुलझाते थे. 

देश के हर हिस्से की चीजें रहीं पसंद 
केवल ग्वालियर ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग शहरों में मिलने वाले हर प्रसिद्ध व्यंजन से अटल जी का नाता रहा. उज्जैन की ठंडई, आगरा का पेठा, भोपाल की कचौड़ी, मुरैना की गजक, बनारस का कलाकंद उन्हें पसंद थे. यहां तक की अटल जी नॉनवेज के भी बेहद शौकीन थे. दिल्ली के करीम होटल पर मिलने वाली मछली उन्हें बहुत पसंद थी. चायनीज भी अटल जी को खूब भाता था. के जिन-जिन दुकानों के व्यजंन अटल जी को पसंद थे आज भी उन जगहों पर उनसे जुड़ी यादें तस्वीरों में मिल जाएंगी.

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