तो इस वजह से मुरैना की इस मस्जिद में नमाज पढ़ने जा सकती हैं महिलाएं...
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तो इस वजह से मुरैना की इस मस्जिद में नमाज पढ़ने जा सकती हैं महिलाएं...

यहां तक की रमजान और ईद के मुबारक मौके पर भी मुस्लिम महिलायें घर की चार दिवारी में ही नमाज अता करती हैं, लेकिन मुरैना में एक मस्जिद ऐसी भी है जहां महिलाएं नमास अता करने जाती हैं

फाइल फोटो (फोटो साभारः ANI)

शैलेंद्र सिंह भदौरिया/मुरैनाः इस्लाम धर्म में महिलाओं का मस्जिद में प्रवेश की मनाही है. यहां तक की रमजान और ईद के मुबारक मौके पर भी मुस्लिम महिलायें घर की चार दिवारी में ही नमाज अता करती हैं, लेकिन मुरैना में एक मस्जिद ऐसी भी है जहां महिलाएं नमाज अता करने जाती हैं. दरअसल, मुरैना के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा को ध्यान में रखते हुए महिला मस्जिद का निर्माण कराया है जिस मस्जिद में केवल महिलायें ही आती हैं. मुरैना की इस मस्जिद में पुरुषो का प्रवेश बिल्कुल मना है. और तो और इस मस्जिद की इमाम भी एक महिला है. 

पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए कराया मस्जिद का निर्माण
मुरैना शहर के सुभाष नगर में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक नूरबख्श की पत्नी शकीरा बेगम काफी बीमार थी. ऐसे में ईलाज के लिए नूरबख्श को बगल में खाली पड़े प्लाट को बेचने की स्थिति बन गई थी, लेकिन बीमार बेगम ने इस प्लॉट को बेंचने नही दिया और समाज की महिलाओं को नमाज की आयतें, कुरान की आयतें व दीन ईमान की शिक्षा-दीक्षा देने के लिये महिला मस्जिद निर्मित करने की अंतिम इच्छा व्यक्त कर दी. बेगम के इंतकाल के बाद नूरबख्श ने भी इस भूखण्ड में महिलाओ की मस्जिद अल शकीरा मस्जिद के नाम से निर्मित करा दी.

महिला इमाम की नियुक्ति
वहीं दीन-धर्म, ईमान की शिक्षा के लिये शिक्षिका शकीला बेगम को नियुक्त कर दिया. अल शकीरा मस्जिद में नमाज व अध्ययन के लिये महिलाओं व बच्चियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मस्जिद के निर्माणकर्ता नूरबख्श धीरे-धीरे अपनी आय के अनुसार मस्जिद को विशाल रूप में देने में लगे हुये हैं. नमाज आता करने आने वाली महिलाओं का कहना है कि नूरबख्श की पत्नी पहले मोहल्ले की औरतों को कुरान शरीफ पढ़ाया करती थीं. उनके इंतकाल के बाद उनके नाम से यह मस्जिद बनाई गई.

पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध
इस इलाके के अधिकतर घरों में इतनी जगह नहीं है कि महिलायें घर पर नमाज पढ़ सकें. इसलिए वह यहां आती हैं. साथ ही कई महिलाओं को कुरान शरीफ और धर्म से जुड़ी अन्य बातों को समझने यहां आती हैं. अल शकीरा मस्जिद में ईद की नमाज के साथ-साथ जुमे की नमाज भी निर्धारित समय पर निरंतर अता की जाती है. महिलायें व बच्चियां भी उत्साह के साथ इस मस्जिद व मदरसे में आती हैं. इस मस्जिद में पुरूषों के प्रवेश प्रतिबंधित रखा गया है.

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