मंत्री के इस आरोप से प्रदेश में चावल घोटाले की आंच पूर्व की कमलनाथ सरकार तक पहुंचती दिख रही है. हालांकि कांग्रेस ने कहा कि यह घोटाला लॉकडाउन के दौरान बटे चावलों में हुआ है. गरीबों में यह चावल 20 अप्रैल के बाद बांटे गए थे.
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भोपाल: शिवराज सिंह की सरकार में शामिल सिंधिया समर्थक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने Zee MPCG पर बड़ा बयान दिया हैं. उन्होंने पूर्व सीएम कमल नाथ पर बड़े आरोप लगाए हैं. तत्कालीन सरकार में खाद्य मंत्री रहे तोमर ने कहा कि कमलनाथ सरकार में ही चावल घोटाला हुआ था. इसे लेकर मैंने उनसे एक्शन लेने को भी कहा था.
कमलनाथ ने नहीं की थी कार्रवाई
भाजपा सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने पूर्व सीएम कमल नाथ पर आरोप लगाया कि उन्हें कमलनाथ सरकार के दौरान ही चावल घोटाले की भनक लग गई थी. इसको लेकर सरकारी नोटशीट पर घोटालेबाजों की जांच के लिए भी कमलनाथ को कहा था. इसको लेकर तोमर ने पूछा कमलनाथ ही बताएं कि उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की थी.
तोमर के बयान पर कांग्रेस का पलटवार
प्रद्युम्न सिंह तोमर के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार की मुहिम 'शुद्ध के लिए युद्ध' के तहत माफिया चावल में मिलावट नहीं कर पाया था. शिवराज सरकार लौटते ही मिलावटी माफिया फिर सक्रिय हो गया है. पिछले दिनों जो चावल घोटाला सामने आया है, उसकी खरीदी 20 अप्रैल 2020 के बाद हुई तब शिवराज की सरकार थी कमलनाथ की नहीं. शिवराज सरकार को 73 लाख मेट्रिक टन चावल में मिलावट मिली है. जबकि कार्रवाई केवल पांच हजार मैट्रिक टन मिलावटी चावल पर हो रही है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि शिवराज सरकार माफिया को बचा रही है.
चावल घोटाला मामला: EOW ने 22 के खिलाफ मामला दर्ज किया, 10 जिलों में 100 टीमें जांच में जुटीं
ये है मामला
जब केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की टीम ने कोरोना काल के दौरान प्रदेश के मंडला और बालाघाट जिले की राशन दुकानों में गरीबों को दिए जाने वाले चावल के 32 नमूने जांच के लिए थे, तब केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की सीजीएल लैब में जांच में पाया कि गरीबों में बांटा गया चावल जानवरों को खिलाने लायक था. लगातार मिल रही शिकायतों के बाद केंद्र की टीम ने चावलों का परीक्षण किया था.
मामले की सीबीआई जांच की मांग
एक तरफ़ जहां प्रद्युम्न सिंह तोमर कमलनाथ पर घोटाले की जानकारी होने का आरोप लगा रहें हैं. वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चावल घोटाला मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश का चावल घोटाला सिर्फ़ बालाघाट व मंडला ज़िले तक ही सीमित नहीं है, यह कई जिलों तक फैला हुआ है और इसके तार ऊपर तक जुड़े हुए है. इसकी सीबीआई जांच हो और जांच का दायरा भी दो जिलों से बढ़ाया जाए. दो जिलों तक ही इसकी जांच को सीमित कर इस घोटाले को दबाने का काम किया जा रहा है.
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30 से ज्यादा लोगों के खिलाफ हो चुकी है कार्रवाई
चावल घोटाले की जांच कर रही है ईओडब्ल्यू की टीम ने 22 राइस मिलर्स और 9 अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. 100 टीमें 10 जिलों के वेयर हाउस और निजी गोदामों की जांच में जुटी हैं. ईओडब्ल्यू की जबलपुर विंग ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है. जबकि जिस दिन मामला सामने आया था उसी दिन रात तक बालाघाट और मंडला के जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था.
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