रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल के डॉक्टरों के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी की हालत सोमवार सुबह अचानक बहुत ज्यादा बिगड़ गई. लंग इंफेक्शन के कारण उन्हें सेप्टिक शॅक लगा, जिसकी वजह से उनका निधन हो गया.
Trending Photos
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी का 84 वर्ष की उम्र में दिल्ली के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया. उन्हें कोरोना संक्रमित होने के बाद बीते दिनों अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी ब्रेन सर्जरी भी हुई थी. पूर्व राष्ट्रपति के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी. रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल के डॉक्टरों के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी की हालत सोमवार सुबह अचानक बहुत ज्यादा बिगड़ गई. लंग इंफेक्शन के कारण उन्हें सेप्टिक शॉक लगा, जिसकी वजह से उनका निधन हो गया.
सियासत में इंदिरा गांधी के समकक्ष थे प्रणब दा
प्रणब दा सियासत में इंदिरा गांधी के समकक्ष थे. इंजरजेंसी के दौरान वह पूर्व प्रधानमंत्री के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे. मुखर्जी को इंदिरा गांधी का क्राइसिस मैनेजर माना जाता था और हर राजनीतिक खेमे में उनके दोस्त मौजूद थे. कांग्रेस के इस महान नेता ने अपने 50 वर्ष लंबे राजनीतिक करियर में कई बड़े पदों को संभाला. वह 37 वर्ष तक भारतीय संसद के सदस्य रहे. उन्हें पिछले वर्ष मोदी सरकार ने भारत रत्न से नवाजा था.
वह वर्ष 2012 में पीएम बनते-बनते रह गए थे
प्रणब मुखर्जी का निक नेम 'पोल्टु दा' था. वह साल 2012 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बेहद करीब थे. प्रणब दा ने खुद एक इंटरव्यू में खुद कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति भवन भेजने और उन्हें प्रधानमंत्री बनाए जाने पर विचार किया जा रहा था. लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने रहे और प्रणब दा राष्ट्रपति भवन पहुंच गए.
प्रणब दा 35 वर्ष की उम्र में राज्य सभा पहुंचे
सक्रिय राजनीति में प्रणब मुखर्जी का सफर वर्ष 1969 में शरू हुआ था, जब वह मिदनापुर लोकसभा उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार वीके कृष्ण मेनन के इलेक्श एजेंट बने. वह सिद्धार्थ शंकर रे की नजरों में आए. उन्होंने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को प्रणब दा के बारे में बताया. इंदिरा गांधी ने प्रणब दा को राज्य सभा भेज दिया. इस तरह 35 वर्ष की उम्र में प्रणब मुखर्जी राज्य सभा सदस्य बन चुके थे. वह दो बार भारत के वित्त मंत्री रहे. उन्होंने 1993 में वाणिज्य मंत्री के रूप में भी देश की सेवा की. उन्हें ट्रेड लिब्रलाइजेशन का चैंपियन कहा जाता है.
उन्होंने तीन प्रधानमंत्रियों के अंडर काम किया
वर्ष 1998 में प्रणब दा कांग्रस पार्टी के महासचिव बनाए गए. वह 23 वर्षों तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रहे. उन्हें कुछ समय के लिए पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया. प्रणब दा ने कांग्रेस के तीन प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में अहम मंत्रालयों का जिम्मा उठाया. इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव और डॉ मनमोहन सिंह. वह देश के ऐसे इकलौते वित्त मंत्री थे जिन्होंने 1991 से पहले लाइसेंस-परमिट राज के दौरान और 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद संसद में आम बजट पेश किया. उन्होंने वर्ष 2008 में वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान वित्त मंत्री के रूप में कई ऐसे फैसले लिए, जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था को डगमगाने से बचाया.
WATCH LIVE TV