भूपेंद्र राय/ भोपाल: वो डकैत जिसके लिए मर्डर करना बांए हाथ का खेल था, उसने मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश पुलिस की नाक में दम करके रखा था. उसने एक के बाद एक बेखौफ दर्जनों डकैती की वारदातों का अंजाम दे दिया. धीरे-धीरे वो इतना बड़ा गैंगस्टर बना कि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की पुलिस भी उससे खौफ खाने लगी. ये कहानी उस लड़के की है, जो मध्य प्रदेश के चित्रकूट जिले के डोंडा सोसायटी के गांव कोलान टिकरिया के मजदूर रामचरण के घर पैदा हुआ और बाद में खूंखार डकैत बनकर आतंक का पर्याय कहलाया. उसे पुलिस जिंदा नहीं पकड़ पाई और 2019 में 40 की उम्र में वो गैंगवार में मारा गया.


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गैंगस्टर बबुली कोल की अपराध कुंडली
बबुली कोल मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सबसे खतरनाक डकैतों में से एक था. उसने एक ही परिवार के पांच सदस्यों की पहले नाक काटी और उन्हें जिंदा जला दिया. थाना प्रभारी समेत चार जवानों को मौत के घाट उतार उतारने वाले बबुली कोल ने  50 हत्या व अपहरण की वारदातों को अंजाम दिया था.


क्यों नहीं कर पाया पढ़ाई
गांव कोलान के प्राथमिक स्कूल से आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद बबुली इंटर के लिए बांदा गया. वहां इंटर पास की, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वो आगे की पढ़ाई नहीं कर सका. लिहजा पढ़ाई छोड़कर वो वापस आकर खेती करने लगा.


इस वजह से रखा अपराध की दुनिया में कदम
साल 2007 में ठोकिया नाम के एक अपराधी की मदद के आरोप में पुलिस ने बबुली को गिरफ्तार कर लिया. उसे 6 महीने की जेल हो गई. जेल में उसकी मुलाकात ठोकिया के साथी लाले पटेल से हुई. इसके बाद बबुली के दिमाग में अपराध के बीज पनपने लगे और वो जेल में ही बड़ा गैंगस्टर बनने का ख्वाब देखने लगा. बाहर निकले ही उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया.


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पहला अपराध
बबुली कोल ने जेल से छूटने के बाद लाले को छुड़वाने का प्लान बनाया और जब लाले को पेशी पर लाया गया तो बबुली कोल उसे पुलिस के बीच जाकर फरार करवाकर ले गया. इसके बाद बबुली और लाले ने पाठा के जंगल में शरण ली. बताया जाता है कि दोनों ने यहीं रहकर अपना गिरोह खड़ा किया.


खूंखार डकैत ददुआ के बाद बबुली का आंतक
पाठा के जंगलों में कभी कुख्यात डकैत ददूआ का आतंक हुआ करता था. ददूआ के खात्मे के बाद इन जंगलों को बबुली के रूप में नया डकैत मिला. बबुली गिरोह का आतंक सबसे अधिक चित्रकूट, बांदा, मानिकपुर, ललितपुर और सतना जिले में रहा. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों के सैकड़ों किलोमीटर के दायरे में फैले पाठा के जंगलों में पुलिस कभी बबुली व उसके गिरोह तक नहीं पहुंच सकी.


5 लोगों को जिंदा जलाया
डकैत बबुली कोल साल 2012 में एक ​बार फिर चर्चा में आया. इस बार उसने टिकरिया गांव में एक ही परिवार के दो सदस्यों की हत्या कर डाली थी. बबुली कोल पर हत्या का यह पहला मामला था. इसके बाद वो एक के बाद एक अपराध करता गया. बाद में उसने डोंडा टिकरिया गांव के एक ही परिवार के 5 सदस्यों की पहले नाक काटी और सभी पर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी. इस घटना को उसने कैमरे में कैद किया, जिससे उसकी दहशत लोगों में फैल सके.


तो इस वजह से नहीं पकड़ पायी पुलिस
जब बबुली कोल मारा गया तब पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि पुलिस की पकड़ में नहीं आने में बबुली कोल की लाइफ स्टाइल ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई. बताया जाता है कि वह अपने पास मोबाइल नहीं रखता था. वो अपने साथियों को भी निर्देश देता है कि मोबाइल और महिला से दूरी बनाए रखो.


अंतिम अपराध में किसान को अगवा किया था
पुलिस के मुताबिक 2019 में बबुली व उसके गिरोह 7 सितम्बर 2019 की रात में एमपी के सतना जिले के धारकुंडी थाना इलाके के गांव हरसेड से किसान अवदेश द्विवेदी को उठा ले गया. उसी के फोन से ​उसके बेटे रूपेश द्विवेदी से पचास लाख रुपए की​ फिरौती मांगी. फिरौती मिलने के बाद उसे छोड़ दिया.


ऐसे मारा गया था बबुली कोल
बबुली कोल और गिरोह के लवलेश के बीच किसान के अपहरण से मिले फिरौती के रुपयों के बंटवारे को लेकर झगड़ा हुआ और फिर दोनों ने एक दूसरे पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिससे दोनों की मौत हो गई. गैंगवार की सूचना के बाद पुलिस ने वीरपुर के पास पहाड़ी पर जंगल में दबिश दी तो बबुली कोल और लवलेश की लाशें पड़ी मिलीं.


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