दिवाली पर हर तरफ खुशियों का माहौल है लेकिन गरियाबंद के कई गांवों के सरपंचों का ये हाल हो गया है कि वो भीख मांगने पर मजबूर हो गए हैं, ऐसा क्यों हुआ पढ़िए।
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गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले के सरपंच शौचालय निर्माण का भुगतान ना होने बेहद खफ़ा हैं।
ये नाराज़गी इस हद तक है कि उन्होंने दिवाली के दिन शहर में भीख मांगकर प्रशासन के प्रति अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की।
दरअसल गरियाबंद विकासखंड की 59 पंचायतों में मनरेगा और शौचालय निर्माण की करीब 13 करोड़ की राशि अटकी पड़ी है।
सरपंचों के मुताबिक ज़िला प्रशासन के आश्वासन पर उन्होंने साहूकारों से उधार लेकर स्वच्छता मिशन के तहत अपने गांवों में शौचालयों का निर्माण करवा दिया।
लेकिन जब भुगतान की बारी आई, तो ज़िला प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए।
सरपंचों के मुताबिक उनकी आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब हो गई है, कि घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है।
सेठ-साहूकारों के तकादों से वो परेशान हो गए हैं। लेकिन ज़िला प्रशासन भुगतान के नाम पर उन्हें कई महीनों से गुमराह कर रहा है।
दिवाली से पहले भुगतान का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन प्रशासन अपना वादा कभी नहीं निभाता।
गुस्साए सरपंच भीख लेने के लिए कलेक्टर के पास उनके निवास भी गये, हालांकि कलेक्टर ने भीख तो नहीं दी, मगर सरपंचों को भुगतान का कोई ठोस आश्वासन भी नहीं दिया।
यही वजह है, कि कलेक्टर के ना मिलने के बाद सरपंचों ने सरकारी कार्यक्रमों के अलावा राज्योत्सव में जाने से भी मना कर दिया है।