मध्य प्रदेश: गोपाल भार्गव होंगे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, लगातार 8 बार से हैं विधायक
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मध्य प्रदेश: गोपाल भार्गव होंगे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, लगातार 8 बार से हैं विधायक

बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि गोपाल भार्गव को बीजेपी विधायक दल की बैठक में नेता चुना गया.

मध्य प्रदेश: गोपाल भार्गव होंगे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, लगातार 8 बार से हैं विधायक

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव को विधायक दल का नेता चुना है. लगातार 8 बार के विधायक भार्गव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे. पार्टी ने इस बारे में आम राय बनाने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह को राजधानी भोपाल भेजा था.

बीजेपी के सभी नवनिर्वाचित विधायकों की जरूरी बैठक सोमवार शाम पांच बजे बीजेपी प्रदेश कार्यालय पंडित दीनदयाल परिसर में आहूत की गई. इसमें केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे मौजूद रहे.

बता दें कि 1985 में अपना पहला चुनाव जीते गोपाल भार्गव लगातार लगातार आठ बार जीतकर विधानसभा पहुंच चुके हैं. वहीं, रहली विधानसभा का सदन में प्रतिनिधित्व करने वाले भार्गव ने मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान की सरकार में 15 साल तक कैबिनेट मंत्री पद भी संभाला है.

तीन दावेदार थे
बीजेपी की ओर से नेता प्रतिपक्ष के लिए तीन ब्राह्मण नेता पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव और राजेंद्र शुक्ल की अलग-अलग कारणों से मजबूत दावेदारी थी. मिश्रा दिल्ली की पसंद हैं तो भार्गव लगातार आठ बार से विधायक निर्वाचित रहे हैं. इसके अलावा इस बार शुक्ल ने विंध्य क्षेत्र में बीजेपी को बड़ी सफलता दिलाई. हालांकि इन तीन दावेदारों में से भार्गव का पलड़ा भारी रहा.

शिवराज ने खुद को किया दूर
बीजेपी विधायक दल का नेता बनने की दौड़ से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद को पहले ही अलग कर लिया था. वे कह चुके हैं कि 13 साल मुख्यमंत्री रहे, अब नेता प्रतिपक्ष नहीं बनेंगे. उन्होंने कहा कि नेता दूसरा विधायक बनेगा. बीजेपी के दावेदार नेताओं की अपनी-अपनी खूबियां हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पूर्व सीएम को कोई दूसरी जिम्मेदारी दी जा सकती है.

विधानसभा सत्र शुरू
मध्यप्रदेश की 15वीं विधानसभा का प्रथम सत्र सात जनवरी से 11 जनवरी 2019 तक आयोजित किया जाएगा. इस पांच दिवसीय सत्र में पांच बैठकों का आयोजन होगा.

पांच दिवसीय कार्यक्रम
7 जनवरी को शपथ/प्रतिज्ञान, 8 जनवरी को शपथ/प्रतिज्ञान, अध्यक्ष का निर्वाचन, राज्यपाल का अभिभाषण, राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव, 9 जनवरी को निधन का उल्लेख, शासकीय कार्य, 10 जनवरी को शासकीय कार्य, राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा और 11 जनवरी को शासकीय कार्य, राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा की जाएंगी.

कांग्रेस ने बनाई सरकार
बता दें कि इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 41 फीसदी वोट मिले लेकिन सिर्फ 109 सीटें ही मिलीं. कांग्रेस के खाते में 114 सीटें आई हैं. जबकि एमपी में 230 विधानसभा सीटें है और बहुमत के लिए 116 विधायकों की जरूरत होती है. सरकार बनाने वाली कांग्रेस को 121 विधायकों का समर्थन हासिल है. कांग्रेस नेता कमलनाथ प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बन चुके हैं.

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