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भोपाल: शिवराज सरकार में मंत्री और सिंधिया की करीबी नेता इमरती देवी ने आखिरकार मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया है. इमरती देवी शिवराज सरकार में महिला बाल विकास मंत्री थीं. हाल ही में 28 सीटों के लिए हुए विधानसभा उपचुनाव में डबरा विधानसभा क्षेत्र से वे चुनाव हार गई थीं.
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चुनाव हारने के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि आखिरकार इमरती देवी कब इस्तीफा देगीं. लेकिन उपचुनाव के नतीजों के 14 दिन बाद मंगलवार यानी आज उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
ये तीन मंत्री हारे थे चुनाव
हाल ही में 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में शिवराज सरकार के तीन मंत्री चुनाव हार गए थे. चुनाव हारने वाले मंत्रियों में इमरती देवी, ऐंदल सिंह कंसाना और गिर्राज डंण्डौतिया शामिल थे.
कंसाना और डंडोतिया पहले ही दे चुके हैं इस्तीफा
चुनाव हारने के बाद कंसाना और डंण्डौतिया पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. इसके बाद आज इमरती देवी ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है. सिंधिया की बगावत के बाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आने के बाद इन तीनों नेताओं को मंत्री बनाया गया था. उपचुनाव में मिली हार के बाद इन्हें त्यागपत्र देना पड़ा.
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पद नहीं छोड़ने पर खड़ा हो गया था सियासी बवाल
इमरती देवी के मंत्री पद पर बने रहने पर सियासी बवाल खड़ा हो गया था. इसे लेकर नरेंद्र सलूजा ने बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि 'जब तक उनके आका ज्योतिरादित्य सिंधिया इशारा नहीं करेंगे, तब तक वह पद पर बनी रहेंगी. इमरती देवी पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था कि अभी उनके विभाग में कई बड़े टेंडर होने वाले हैं. इसलिए वे इस्तीफा नहीं दे रही हैं.'
बीजेपी ने दिया था ये जवाब
इसके जवाब में बीजेपी ने कहा था कि 'देश कांग्रेस के संविधान से नहीं बाबा अंबेडकर के बनाए संविधान पर चलता है. शपथ लेने वाला मंत्री बिना निर्वाचित हुए 6 महीने तक पद पर रह सकता है. किसे मंत्री पद रखना है और किसे नहीं रखना है, इसका अधिकार सीएम के पास है.'
VIDEO: चुनाव हारने के बाद इमरती देवी के इस्तीफे पर सियासत
कब तक मंत्री पद पर रह सकते हैं?
संविधान के नियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना विधायक बने 6 महीने तक ही मंत्री रह सकता है. अगर वह विधायक बन जाता है तो उसे पद नहीं छोड़ना पड़ता, विधायक नहीं बन पाने पर 6 महीने बाद वो मंत्री पद से हट जाता है. नैतिकता के आधार पर चुनाव हारने के बाद इमरती देवी को पहले ही इस्तीफा देना चाहिए था, हालांकि वो 2 जनवरी तक मंत्री पद पर रह सकती थीं.
डबरा से चुनाव लड़ीं और हारीं
इमरती देवी को राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कट्टर समर्थक माना जाता है. बीजेपी में शामिल होने के बाद वे ग्वालियर जिले की डबरा सीट से उपचुनाव लड़ी थीं. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे ने 7663 वोट से पटखटनी दी थी. इस जीत के साथ कांग्रेस ने इस सीट पर अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा. 2008 में हुए परिसीमन के बाद से इस सीट पर कांग्रेस की इमरती देवी चुनाव जीतती रहीं, लेकिन इस उपचुनाव में बीजेपी की टिकट से किस्मत आजमाने पर उन्हें तगड़ा झटका लगा. ज्योतिरादित्य सिंधिया और एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के प्रभाव वाली सीट होने के बाद भी इमरती देवी को हार का मुंह देखना पड़ा था.
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