सिंधिया समर्थकों का रसूख यहां बढ़ता हुआ नजर आने लगा है. इसके चलते ही शायद जयभान पवैया, माया सिंह, नारायण सिंह जैसे कद्दावर पूर्व मंत्री जनता से दूरियां बनाए हुए हैं.
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कर्ण मिश्रा/ग्वालियर: मध्य प्रदेश की सियासत में ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके समर्थकों का भाजपा में शामिल होना और इसके साथ ही सिंधिया समर्थकों का आगामी उपचुनाव को देखते हुए फील्ड में तैनात रहने की कई तस्वीरें सामने आ चुकी हैं.
लेकिन इन सभी के भाजपा जॉइन करते ही ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी के बड़े नेता एवं पूर्व मंत्री मैदान से मानों नदारद हो गए हैं. वजह जो भी हो पर इस मामले पर कांग्रेस तंज कसने में पीछे नहीं है. कांग्रेस इस मामले को उछालकर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही है.
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दरअसल ग्वालियर में भी खाली हुई विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव होना है. ऐसे में कोरोना संक्रमण काल मे सिंधिया समर्थक जनता के बीच अपनी छवि को कांग्रेस से बाहर लाकर भाजपाई बनने का अहसास दिला रहे हैं. क्योंकि भाजपा प्रदेश संगठन तय अनुसार इन्हें टिकिट देने जा रहा है. इतना ही नहीं उपचुनाव से पहले कुछ को मंत्री पद से भी नवाजा जा सकता है.
ऐसे में सिंधिया समर्थकों का रसूख यहां बढ़ता हुआ नजर आने लगा है. इसके चलते ही शायद जयभान पवैया, माया सिंह, नारायण सिंह जैसे कद्दावर पूर्व मंत्री जनता से दूरियां बनाए हुए हैं. कांग्रेस का मानना है कि फर्जी गांधीवादी विचारधारा व गोडसे समर्थकों का मिलन हुआ है.
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ऐसे में कांग्रेस से गए नेताओं ने बीजेपी के बड़े नेताओं को घर बिठा दिया. ऐसे में अपने बड़े नेताओं की दुकानदारी को बंद कर बागी कांग्रेसियो के हाथों में सत्ता की चाबी सौंपी गई है. ऐसे में इस बेरुखी से कई भाजपाई कोंग्रेस का दामन थाम लेंगे.
बीजेपी पार्टी में बेरुखी ओर सिंधिया समर्थकों के भाजपा में बढ़ते रसूख जैसे सवालों पर खुद पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह का मानना है कि संगठन उनसे जो काम ले रहा है वह उसे निभा रहे हैं. वहीं ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का मानना है कि अभी कोरोना के चलते यह सभी बड़े नेता घरों में हैं. अभी चुनावी माहौल भी नहीं है. ऐसे में आने वाले दिनों में सबके चेहरे दिखने लगेंगे.
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कांग्रेस के तीखे जुबानी हमले पर भाजपा नेता भले ही डिफेंसिव मोड में दिख रहे हों, लेकिन बाजार से नदारद हुए जयभान सिंह पवैया, माया सिंह व नारायण सिंह जैसे पूर्व मंत्रियों की यह तस्वीर अंदुरूनी रूप से भाजपा संगठन भी समझ नही पा रहा है.
इसके चलते अब सभी के साथ बैठकें कर माहौल सुधारने की कोशिश जारी है. खैर उपचुनाव में इस माहौल क़ा फायदा कांग्रेस उठाना चाहती है, तो वहीं भाजपा भी अपने नेताओं की बेरुखी को दूर कर सत्ता में बने रहना चाहती है.
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