`रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे..` नारा देने वाले हुए भावुक बोले- पूरा हुआ सपना...
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`रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे..` नारा देने वाले हुए भावुक बोले- पूरा हुआ सपना...

34 सालों से राम मंदिर के लिए राम भक्तों में 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा देकर अलख जगाने वाले इंदौर निवासी बाबा सत्यनारायण मौर्य ने भावुक होकर कहा कि राम मंदिर की आधारशिला रख पीएम मोदी ने लाखों कारसेवकों का सपना पूरा किया है.

नरेंद्र मोदी को चित्र दिखाते बाबा सत्यनारायण मौर्य.

इंदौर: अयोध्या में भूमि पूजन के बाद अब श्रीराम मंदिर निर्माण की शुरूआत हो रही है, ऐसे में उस एक कारसेवक की आंखें भर आई हैं, जिन्होंने राम आंदोलन में सबसे ज्यादा गूंजने वाला नारा दिया 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे.'

34 सालों से राम मंदिर के लिए राम भक्तों में 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा देकर अलख जगाने वाले इंदौर निवासी बाबा सत्यनारायण मौर्य ने आज भावुक होकर कहा कि राम मंदिर की आधारशिला रख पीएम मोदी ने लाखों कारसेवकों का सपना पूरा किया है.

उज्जैन में दिया था नारा
अंतरर्राष्ट्रीय ख्याती प्राप्त चित्रकार रहे सत्यनारायण मौर्य ने जी मीडिया से बात करते हुए बताया कि वो राम मंदिर आंदोलन में 1985 में जुड़े थे और 1986 के बाद उज्जैन में 'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा दिया था, जो कई सालों से अयोध्या में राम मंदिर के लिए लोगों में जोश भरता रहा.

कारसेवक बाबा सत्यनारायण मौर्य ने राम मंदिर आंदोलन के वक्त को याद करते हुए बताया कि उस वक्त उज्जैन से छिपकर अयोध्या पहुंचा था, जहां घरों पर राम मंदिर निर्माण को लेकर नारे और प्रभु श्रीराम के चित्र गेरू से उकेरे थे. उन्होंने बताया कि कई बार पुलिस-प्रशासन के डर से भागना भी पड़ा, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी.

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बाबा सत्यनारायण मौर्य ने कहा कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 में कारसेवा के दौरान पहली बार किया गया मंच संचालन और पूरा आंदोलन आज भी पूरी तरह याद है, ऐसा लगता है मानों कल की ही बात हो. नम आखों के साथ बाबा ने कहा कि मंदिर तो बन चुका था, अब तो बस शुरुआत उससे भव्य बनाने की है. पीएम मोदी ने खुद अयोध्या आकर मंदिर की आधारशिला रख लाखों कारसेवकों का सपना पूरा कर दिया है.

'जो संकल्प लिया था वो अब पूरा हो गया'
सत्यनारायण मौर्य बताते हैं कि 1992 में जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया, उससे पहले से वो वहां पेंटिंग के लिए मौजूद थे. उस समय 4 फीट चौड़ा कपड़ा बहुत कम मिल पाता था लेकिन पूरे अयोध्या में राम मंदिर पर आधारित कई बैनर लगाए. 6 दिसंबर को जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा और सरकार ने निर्माण पर रोक लगाई, तो उसी मलबे में रामजी को बिठा दिया. हालांकि बाद में पत्थर बराबर किए गए और लकड़ी लगाकर बैनर वाले गुलाबी कपड़े से ही अस्थाई मंदिर बनाया.

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