छत्तीसगढ़ के इस गांव में है रामलला का ननिहाल, जन्मस्थली के साथ-साथ यहां भी तैयार हो रहा भव्य मंदिर
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छत्तीसगढ़ के इस गांव में है रामलला का ननिहाल, जन्मस्थली के साथ-साथ यहां भी तैयार हो रहा भव्य मंदिर

छत्तीसगढ़ के चंदखुरी गांव से रामलला का खास कनेक्शन है. जहां 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जानी है, वहीं रायपुर के चंदखुरी गांव में माता कौशल्या की गोद में बाल रूप में विराजमान रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य भी इसी महीने के अंत तक शुरू हो जाएगा.

सांकेतिक तस्वीर

सत्य प्रकाश/रायपुर:अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के निर्माण लेकर देशभर में लोगों में उत्साह है, ऐसे में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सटे चंदखुरी गांव के लोग भी बेहद खुश और उत्साहित हैं. 

दरअसल चंदखुरी से रामलला का खास कनेक्शन है. जहां 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जानी है, वहीं रायपुर के चंदखुरी गांव में माता कौशल्या की गोद में बाल रूप में विराजमान रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य भी इसी महीने के अंत तक शुरू हो जाएगा. 

चंदखुरी और रामलला का कनेक्शन
आपको बता दें कि चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल है. चंदखुरी श्री रामचन्द्र का मामा गांव है. रामलला को छत्तीसगढ़ में भांचा (भांजा) मानकर पूजा जाता है और जब बरसों-बरस के इंतजार के बाद भगवान राम के भव्य मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है तो रामलला के मामा गांव के लोग भी बेहद खुश हैं. स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने इस दिन के लिए बरसों इंतजार किया है. 

इस मंदिर में मां कौशल्या की गोद में विराजमान है रामलला
चंदखुरी गांव में माता कौशल्या का प्राचीन मंदिर है. यहां अब भव्य मंदिर निर्माण और सौंदर्यीकरण पर 15 करोड़ रुपये खर्च होने वाले हैं. ऐसा कहा जाता है कि ये दुनिया में मां कौशल्या का इकलौता मंदिर है जहां मां कौशल्या की गोद में रामलला विराजमान हैं. सफेद कमल के तालाब के बीचों-बीच स्थित ये मंदिर बेहद खास है.

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आखिर इतना खास क्यों है ये मंदिर?
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित चंदखुरी गांव को भगवान राम की मां कौशल्या का जन्म स्थान माना जाता है. चंदखुरी के सफेद कमल खिले तालाब के बीचो बीच माता कौशल्या का मंदिर स्थित है. जो की 10वीं शताब्दी का बताया जाता है. 

मंदिर के पुजारी संतोष कुमार शर्मा के मुताबिक उस वक्त के महाकौशल के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से हुआ था. विवाह में भेंटस्वरूप राजा भानुमंत ने कौशल्या को एक हजार गांव भेंट किए थे. जिसमें मां कौशल्या का जन्म स्थान चंदखुरी भी शामिल था. 

जिस तरह अपनी जन्मभूमि से सभी को लगाव होता है ठीक उसी तरह माता कौशल्या को भी चंदखुरी से विशेष प्रेम था. राजा दशरथ से विवाह के बाद माता कौशल्या ने तेजस्वी और यशस्वी पुत्र राम को जन्म दिया. इसी मान्यता अनुसार सोमवंशी राजाओं द्वारा बनायी गयी मूर्ती आज भी चंदखुरी के मंदिर में मौजूद है. जिसमें भगवान राम को गोद में लिये हुए माता कौशल्या दिव्य रूप में विद्यमान हैं. 

भगवान राम के वनवास से आने के बाद उनका राज्याभिषेक किया गया और राज्याभिषेक होने के बाद तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी तपस्या के लिए चंदखुरी ही पहुंची थीं. तीनों माताएं तालाब के बीच विराजमान हो गईं. लेकिन जब तालाब का प्रयोग लोग गलत चीजों के लिए करने लगे तब माता सुमित्रा और कैकयी रूठकर दूसरी जगह चली गयी लेकिन माता कौशल्या वहीं विराजमान रहीं.

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से पहले ही कौशल्या मंदिर का निर्माण पूरा करने का ऐलान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में किया है. इस ऐलान के बाद मसला थोड़ा सियासी भी हो चला है. लेकिन बावजूद इसके छत्तीसगढ़ियों की आस्था भांजे के रूप में भगवान राम से सदियों से जुड़ी हुई है और ऐसे में उनके मंदिर के निर्माण के साथ ही यहां उनके ननिहाल को पहचान मिलना भी सोने पर सुहागा जैसा है.

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