अभी देश के 7 राज्यों में विधान परिषद है. अगर एमपी में विधान परिषद का गठन होगा तो राज्यों की संख्या 8 हो जाएगी.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में विधान परिषद के गठन की कवायद तेज हो गई है. मध्य प्रदेश में अब विधानसभा के साथ ही विधान परिषद भी होगी. विधान परिषद के गठन के प्रारूप पर चर्चा के लिए आज यानी मंगलवार को मुख्य सचिव एसआर मोहंती समेत कई अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक होगी. राज्य की कमलनाथ सरकार ने विधान परिषद के गठन की तैयारियां शुरू कर दी है.
18 दिसंबर 2018 को जब कमलनाथ ने सीएम पद की शपथ ली. तभी से कांग्रेस अपने वचन पत्र को निभाने में जुटी गई थी. कर्जमाफी समेत कई बड़े फैसलों के बाद कमलनाथ सरकार का फोकस अब एमपी में विधान परिषद के गठन पर है. विधान परिषद के गठन को लेकर आज मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है. आपको बता दें कि अभी देश के 7 राज्यों में विधान परिषद है. अगर एमपी में विधान परिषद का गठन होगा तो राज्यों की संख्या 8 हो जाएगी. विधान परिषद के गठन के बाद विधानसभा निम्न और परिषद उच्च सदन कहलाया जाएगा. बताया जा रहा है कि एमपी की विधान परिषद में 70 एमएलसी होंगे. वहीं, मंत्रिमंडल के कोटे में 11 मंत्री भी बढ़ जाएंगे. विधान परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी अलग से चुने जाएंगे.
आज होने वाली बैठक में विधान परिषद के गठन के प्रारूप पर चर्चा होगी. फिर कमलनाथ सरकार विधान परिषद का प्रस्ताव पहले विधानसभा से पारित कराएगी. इसके बाद प्रस्ताव को लोकसभा भेजा जाएगा. लोकसभा से मंजूरी के बाद विधान परिषद का गठन होगा. विधान परिषद का अलग सचिवालय होगा. विधान परिषद के सदस्यों का वेतन पर आने वाला खर्च अतिरिक्त होगा. बता दें कि मध्य प्रदेश देश का 8वां राज्य होगा, जहां विधान परिषद का गठन होगा.
राज्य पर पड़ेगा कितना बोझ
विधान परिषद के गठन से मध्य प्रदेश के खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा, आइए जानते हैं. एमपी के संसदीय कार्य विभाग ने विधान परिषद पर होने वाले खर्च को जो अनुमान लगाया है, वो करीब सालाना साढ़े 26 करोड़ रुपए हैं. इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के वेतन भत्तों पर करीब 85 लाख रुपए, विधायकों के वेतन भत्तों पर करीब 9 करोड़ 16 लाख रुपए, विधायकों के यात्रा भत्तों और दौरों पर 3 करोड़ 16 लाख, विधायकों के ऑफिस पर 78 लाख, और अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर करीब 12 करोड़ रुपए सालाना खर्च का अनुमान है.
बताया जा रहा है कि विधान परिषद के लिए शुरूआत में करीब 100 अधिकारी-कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी. फिर जरुरत के मुताबिक इज़ाफा किया जाएगा. इसके अलावा फर्नीचर, कंप्यूटर, गाड़ियां और फोन पर करीब सवा 6 करोड़ रुपए खर्च होगा. यानी कि एमपी में विधान परिषद के गठन पर करीब 32 करोड़ 75 लाख रुपए का खर्च आएगा. इस खर्च में किसी के भी आवास का खर्च शामिल नहीं है.
एक तरफ सरकार विधान परिषद के गठन की तैयारी कर रही है. लेकिन, आपके मन में कई सवाल उठ रहे होंगे. आखिर विधान परिषद की क्या जरुरत, गठन कैसे होगा या फिर मंत्रिमंडल विस्तार से क्या फायदा होगा. आइए आपके कुछ सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं.
सवाल- मंत्रिमंडल विस्तार से क्या फायदा ?
जवाब- विधान परिषद के गठन के बाद 45 मंत्री हो सकते हैं. मंत्रिमंडल में कई बार एक्सपर्ट नहीं होते है. विधान परिषद के जरिए सरकार एक्सपर्ट को मंत्रिमंडल में ला सकती है.
सवाल- विधान परिषद के अधिकार क्या होंगे ?
जवाब- विधान परिषद में नए विधेयक लाए जा सकेंगे. कानूनों में संशोधन के लिए भी विधेयक लाए जा सकेंगे. कई विशेषज्ञ कानूनों पर चर्चा कर सकेंगे.
सवाल- अभी कितने राज्यों में विधान परिषद है?
जवाब- यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर
सवाल- विधान परिषद का क्या काम होगा?
जवाब- परिषद विधानसभा जैसे ही काम करती है. विधान परिषद के पास अधिकार कम होते हैं. बजट, अविश्वास प्रस्ताव में परिषद के सदस्य वोट नहीं कर सकते हैं. परिषद के सदस्य संशोधन के लिए अनुशंसा कर सकते हैं.