भिंड के जिला चिकित्सालय में बुधवार को आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में मेडिकल टेस्ट के दौरान गंभीर लापरवाही सामने आई थी.
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भिंड: भिंड के जिला चिकित्सालय में बुधवार को आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में मेडिकल टेस्ट के दौरान गंभीर लापरवाही सामने आई थी. इस मामले पर कार्रवाई करते हुए कलेक्टर इलैया राजा टी ने आरोपी डॉक्टर और एक क्लर्क को निलंबित कर दिया है. साथ ही पुलिस सूबेदार नीरज शर्मा को भी निलंबित कर दिया गया है. वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भिंड और धार की घटनाओं पर बोलते हुए कहा कि घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए दोनों ही मामलों में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. मामले की जांच के बाद दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. गौरतलब है कि भिंड के जिला चिकित्सालय में आरक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान एक ही कमरे में युवक और युवतियों का मेडिकल चेकअप किया गया था. साथ ही जिला चिकित्सालय में युवतियों के सामने ही युवकों की अर्धनग्न अवस्था में मेडिकल जांच की गई. वहीं जिला चिकित्सालय में युवतियों के मेडिकल टेस्ट के लिए कोई भी महिला चिकित्सक या नर्स मौजूद नहीं थी.
We are taking this very seriously, strictest action will be taken against those found responsible. A probe is underway: MP CM Shivraj Singh Chouhan on discrepancies during medical examinations for the post of Police constables in Dhar & Bhind. pic.twitter.com/OlWvyTLgyo
— ANI (@ANI) May 2, 2018
बताया जा रहा है कि भिंड पुलिस लाइन में 217 महिला और पुरुष आरक्षकों की भर्ती हुई है. अभ्यर्थियों को समूह में बांटकर अलग-अलग चरणों में जिला चिकित्सालय में मेडिकल टेस्ट कराया जा रहा था. इनमें से ही 39 युवक-युवतियों के मेडिकल टेस्ट करवाए गए. इन सभी को एक ही कमरे में बुलाया गया और अर्धनग्न अवस्था में युवकों के सामने युवतियों का मेडिकल टेस्ट भी किया गया. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के धार जिला अस्पताल में भी आरक्षकों की भर्ती में अभ्यार्थियों के सीने पर एससी-एसटी लिखने के बाद बवाल मच गया था. इस मामले के तूल पकड़ने पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. इस मामले में जांच के बाद दोषी पाए गए जिला पुलिस बल के निरीक्षक नानूराम वर्मा व SAF दल के उप निरीक्षक नानूराम मोवेल को तत्काल निलंबित कर दिया गया था. साथ ही दोषी चिकित्सकों पर कार्यवाही के लिए कलेक्टर को निर्देशित किया गया था.
धार में इस मामले पर अस्पताल प्रबंधन ने कहा था कि कुछ समय पहले महिला आरक्षक की ऊंचाई नापने में हुई गड़बड़ी को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया था. आरक्षित वर्ग की ऊंचाई नापने में कोई गड़बड़ न हो इसलिए अलग-अलग वर्ग के अभ्यर्थियों के सीने पर उनकी जाती उल्लेखित कर दी गई थी. आपको बता दें कि सामान्य और दूसरे पिछड़ा वर्ग के लिए 168 सेमी और एससी-एसटी के लिए 165 सेमी की ऊंचाई निर्धारित की गई है.