मध्य प्रदेश चुनाव: संत समाज ने दिया बीजेपी को झटका, लिया यह बड़ा फैसला
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मध्य प्रदेश चुनाव: संत समाज ने दिया बीजेपी को झटका, लिया यह बड़ा फैसला

नर्मदे संसद में आचार्य प्रमोद कृष्णम और कंप्यूटर बाबा ने मोदी सरकार एवं प्रदेश की बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. 

फोटो साभार : Facbook

जबलपुर: संतों के सम्मेलन ''नर्मदे संसद'' में शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ''मां नर्मदा के साथ अन्याय करने वाला कलयुगी पुत्र'' तथा ''साधु संतों के साथ धोखा करने वाला व्यक्ति'' करार देते हुए उन्हें पद से हटाने के लिए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का संकल्प लिया गया. संत सम्मेलन ''नर्मदे संसद'' का आयोजन पटदर्शन संत समिति के अध्यक्ष संत कंप्यूटर बाबा की अगुवाई में जबलपुर के ग्वारीघाट क्षेत्र में किया गया था. नर्मदे संसद में शिरकत करने अन्य प्रदेशों के भी संत पधारे थे.

वादा तोड़ने वाली सरकार बदलनी होगी- आचार्य कृष्णम 
नर्मदे संसद में आचार्य प्रमोद कृष्णम और कंप्यूटर बाबा ने मोदी सरकार एवं प्रदेश की बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. आचार्य कृष्णम ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने जनता से वादा खिलाफी की है. इस बार इस सरकार को गिराना होगा और कांग्रेस को आगे लाना होगा. यदि कांग्रेस वादा खिलाफी करेगी, तो पांच साल बाद उसे भी गिरा दिया जाएगा.

शिवराज ने नहीं निभाया मां नर्मदा को बचाने का वादा- कंप्यूटर बाबा
बाबा ने कहा, ''सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन उसे पराजित नहीं किया जा सकता. हमें इन्हें दिखाना है, तुम हमारी ही दम पर थे. इसलिए ये जरूरी हो गया है, इनको आईना दिखाया जाए.'' संतों ने अपने उद्बोधन में कहा कि बुधनी में नर्मदा स्वच्छता अभियान के दौरान मुख्यमंत्री ने संतों के साथ चर्चा में कहा था कि मां नर्मदा के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ नहीं होगा. रेत माफिया से नर्मदा नदी को बचाने तथा उनके संरक्षण का आश्वासन संत समाज को दिया था. मुख्यमंत्री बाद में मुकर गए और अपने रिश्तेदारों से मां नर्मदा का सीना छलनी करवाते रहे.

सीएम ने दिया नर्मदा आयोग के गठन का झूठा दिलासा
संतों के मुताबिक, शिवराज ने नर्मदा आयोग के गठन का झूठा दिलासा भी दिया था. स्वयं को नर्मदा पुत्र कहने वाले मुख्यमंत्री कलयुगी पुत्र की तरह मां नर्मदा को बेच रहे हैं. संतों को राजनीति से दूर करने का षडयंत्र भी रचा, जिससे नर्मदा की सच्चाई जनमानस तक नहीं पहुंच सके. सभी संतों ने इन बातों से क्षुब्ध होकर सत्ता परिवर्तन की ठान ली है. गौरतलब है कि विगत अप्रैल माह में प्रदेश सरकार ने नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा सहित पांच संतों को मंत्री का दर्जा प्रदान किया था. कुछ माह बाद कंप्यूटर बाबा ने मंत्री दर्जा से इस्तीफा दे दिया था.

(इनपुट भाषा से)

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