मुलताई के बाद मंदसौर तक सरकारों के नजरिए जस के तस : सुनीलम
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मुलताई के बाद मंदसौर तक सरकारों के नजरिए जस के तस : सुनीलम

किसान नेता और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने कहा कि अंतर सिर्फ इतना है कि मुलताई की घटना के समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और मंदसौर गोलीकांड के समय भाजपा की सरकार.

सुनीलम ने कहा कि मुलताई की घटना को लेकर कांग्रेस नेताओं ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे.(फोटो-samajwadisunilam फेसबुक)

नई दिल्ली/भोपाल: किसान नेता और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने कहा है कि लगभग दो दशक पहले मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई में हुए किसान आंदोलन और आंदोलनकारियों पर पुलिस गोलीबारी में हुई किसानों की मौत के बाद सरकारों के नजरिए में कोई बदलाव नहीं आया और उसके बाद मंदसौर में भी ठीक उसी तरह की घटना घटी. उन्होंने कहा कि अंतर सिर्फ इतना है कि मुलताई की घटना के समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और मंदसौर गोलीकांड के समय भाजपा की सरकार. आपको बता दें कि मुलताई में 12 जनवरी, 1998 को किसानों ने फसल के मुआवजे की मांग को लेकर किसान संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन किया था. तब राज्य में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस ने गोली चलाई, जिसमें एक अग्निशामक कर्मी सहित 24 किसान मारे गए थे और 150 से ज्यादा घायल हुए थे. साथ ही बड़ी संख्या में किसानों पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे.

सुनीलम ने कहा कि मुलताई की घटना को लेकर कांग्रेस नेता सुभाष यादव, बलराम जाखड़ और रामनरेश यादव ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे. तीनों नेताओं ने अपनी जांच रपट में तात्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार को कटघरे में खड़ा किया था और जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक को गोलीकांड के लिए जिम्मेदार ठहराया था. डॉ. सुनीलम ने कहा कि मुलताई की घटना के बाद भी सरकारों के नजरिए में कोई बदलाव नहीं आया. मुलताई गोलीकांड के बाद भाजपा ने कांग्रेस को गोलीकांड के लिए जिम्मेदार ठहराया और आज कांग्रेस भाजपा को गोलीकांड के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है. सुनीलम ने कहा कि इन राजनीतिक दलों का चरित्र एक समान है. उनके लिए किसान, उसकी उपज के दाम, समस्या, बदहाली कोई मायने नहीं रखती है. इन्हें सिर्फ किसानों की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने से मतलब है. मुलताई कांड पर गठित पी.सी. अग्रवाल आयोग की रिपोर्ट पर विधानसभा में कभी चर्चा नहीं हुई, मंदसौर गोलीकांड की तो अब तक रिपोर्ट ही नहीं आई है.

सुनीलम ने कहा कि मुलताई गोलीकांड के बाद कांग्रेस ने नैतिकता का परिचय देते हुए जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति भेजी थी. जिसके सदस्य सुभाष यादव, बलराम जाखड़ और रामनरेश यादव थे. इस समिति ने अपनी रपट में सरकार पर तो उंगली उठाई ही थी और जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को भी दोषी माना था. वहीं मौजूदा भाजपा सरकार ने तो नैतिकता तक दिखाने का साहस नहीं किया. एक तरफ जांच आयोग की रिपोर्ट नहीं आई, दूसरी ओर पार्टी ने अपनी तरफ से कोई जांच भी नहीं कराई.
सुनीलम कहते हैं कि अब बलराम जाखड़, सुभाष यादव और रामनरेश यादव जैसे नेता भी नहीं रहे, जिनमें अपनी ही सरकार की खामिया उजागर करने का साहस हो. राजनीतिक दलों में भी वह साहस नहीं है, जो इस तरह के मामलों की अपने स्तर पर जांच कराएं.

मंदसौर गोलीकांड की पहली बरसी पर छह जून को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मंदसौर पहुंच रहे हैं. डॉ. सुनीलम की मांग है कि इस मौके पर राहुल को ऐलान करना चाहिए कि अगर उनकी सरकार आती है, तो किसी भी अहिंसक आंदोलन पर गोली चलाने का निर्देश नहीं दिया जाएगा. सुनीलम कहते हैं कि गोली चलाने के लिए पुलिस मैनुअल में साफ दिशा-निर्देश हैं, जिनका न तो मुलताई में पालन किया गया था और न ही मंदसौर में. मुलताई में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने गोलीबारी करवाई थी, आज वही पुलिस अफसर बड़े जिम्मेदार पद पर है. मंदसौर में भी जिस नगर निरीक्षक ने गोली चलाई, वह भी मौज कर रहा है. 

आपको बता दें कि मुलताई न्यायालय के न्यायाधीश एस.सी. उपाध्याय ने मुलताई गोलीकांड में हत्या के दोषी पाए जाने पर पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम सहित तीन लोगों को आजीवन कारावास एवं हत्या के प्रयास में सात-सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी. ज्ञात हो कि वर्ष 1997 में अतिवृष्टि एवं गेरुआ रोग के कारण खराब फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों का नेतृत्व करते हुए डॉ. सुनीलम ने किसान आंदोलन किया था. 

(इनपुट आईएएनएस से)

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