डिंडौरी में नहीं कम हो रहा जल संकट, गांवों में लोग नदी में खुदाई करके कर रहे हैं पानी का इंतजाम
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डिंडौरी में नहीं कम हो रहा जल संकट, गांवों में लोग नदी में खुदाई करके कर रहे हैं पानी का इंतजाम

 देश को आजाद हुए भले ही 72 साल गुजर गए हों, लेकिन आज भी ऐसे कई गांव हैं जहां लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पाया है और लोग गांवों में फैले भारी जल संकट से परेशान चल रहे हैं.

कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम के गृहजिले डिंडौरी में भीषण जल संकट(फाइल फोटो)

नई दिल्लीः एक तरफ जहां मध्य प्रदेश सरकार "पानी का अधिकार" कानून लागू करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम के गृहजिले डिंडौरी में भीषण जलसंकट के हालात बने हुए हैं. हम बात कर रहे हैं समनापुर विकासखंड के ढाबा गांव की जहां जलसंकट को लेकर हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. देश को आजाद हुए भले ही 72 साल गुजर गए हों, लेकिन आज भी ऐसे कई गांव हैं जहां लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पाया है और लोग गांवों में फैले भारी जल संकट से परेशान चल रहे हैं.

बैगा आदिवासी बाहुल्य इस गांव में हैंडपंप और कुआं नहीं होने के कारण यहां लोग सालों से नदी नाले का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्रामीण अपने हाथों से पहले नदी के तटों की खुदाई कर गड्ढा बनाते हैं, जिसमें रिस रिसकर जो पानी जमा होता है. उस पानी को साफ कर वो अपनी प्यास बुझाते हैं. ग्रामीणों की मानें तो नदी का पानी काफी दूषित है लिहाजा उन्हें गड्ढा खोदकर पानी पीना पड़ता है. ऐसे में न सिर्फ ग्रामीणों की जान को खतरा है, बल्कि इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं.

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ढाबा गांव के महारानी टोला मोहल्ले के वाशिंदे नेता और अधिकारीयों से हैंडपंप की मांग करते-करते थक चुके हैं, लेकिन अभी तक गांव में एक भी हैंडपंप नहीं लगाया गया है और अब उन्हें किसी से कोई उम्मीद भी नहीं है. वहीं जब इस मामले में कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम से बात की तो मंत्री जी यह तो मानते हैं कि जिले में जलसंकट की गंभीर समस्या है, लेकिन इस गंभीर समस्या के निराकरण के सवाल पर मंत्री जी ज्ञान बघारते नजर आ रहे हैं. वहीं जल ही जीवन है का नारा अलापने वाले विभाग के अधिकारी मीटिंग में व्यस्त होने का हवाला देकर कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं. 

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