यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल और जस्टिस सुजय पॉल की तरफ से की गई. आपको बता दें कि बीते दिनों शाजापुर के एक निजी अस्पताल में कोरोना इलाज का शुल्क नहीं चुका पाने के कारण एक वृद्ध को अस्पताल ने पलंग से बांध कर बंधक बना लिया था.
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जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने बुधवार को कहा कि राज्य के निजी अस्पताल कोरोना के इलाज के नाम पर मनमानी वसूली नहीं कर सकते. हाईकोर्ट ने यह आदेश शाजापुर के एक गरीब वृद्ध मरीज को निजी अस्पताल में इलाज का शुल्क न चुका पाने के कारण पलंग से बांधे जाने के मामले में सुनवाई के दौरान दी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में गरीब तबके के मरीजों का इलाज हो सके, इसके लिए विस्तृत गाइडलाइन भी निर्धारित करने पर विचार किया जा रहा है.
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यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल और जस्टिस सुजय पॉल की तरफ से की गई. आपको बता दें कि बीते दिनों शाजापुर के एक निजी अस्पताल में कोरोना इलाज का शुल्क नहीं चुका पाने के कारण एक वृद्ध को अस्पताल ने पलंग से बांध कर बंधक बना लिया था. मामले की जानकारी जब जिला कलेक्टर को हुई थी तो उन्होंने जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम का गठन कर दिया था.
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जांच टीम ने अस्पताल प्रबंधन को दोषी पाया था. जिसके बाद उसका लाइसेंस भी कैंसिल कर दिया गया था. इसी मामले को लेकर कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ ने विधिवत आवेदन प्रस्तुत किया था. जिसमें साफ किया गया कि नियमानुसार निजी अस्पताल कोरोना के मरीजों से वही शुल्क वसूल सकते हैं, जो कि जायज है. न कि मनमर्जी से इलाज का खर्च वसूला जाए.
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