मंत्री तुलसी सिलावट के आवास पर आयोजित भोज में नहीं पहुंचे कई कांग्रेसी नेता.
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भोपाल: कर्नाटक और गोवा में संकट का सामना कर रही कांग्रेस की चिंताएं बढ़ी हुई हैं. संभवत: इसी के कारण कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में एकजुटता दिखाने की कोशिश की है. मगर इस एकजुटता की कोशिश में कमजोर कड़ी भी नजर आई है. कई बड़े नेता और विधायक इस एकजुटता प्रदर्शन से दूर बने रहे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को भोपाल का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ भोज किया तो रात को मंत्री तुलसी सिलावट के आवास पर आयोजित भोज में सभी बड़े नेताओं के अलावा विधायकों और मंत्रियों को बुलाया गया. कांग्रेस इस आयोजन के जरिए अपनी एकजुटता प्रदर्शित करना चाहती थी.
भोज में नजर नहीं आए कई अहम चेहरे
सिंधिया समर्थक मंत्री सिलावट द्वारा आयोजित रात्रि भोज में सिंधिया, मुख्यमंत्री कमलनाथ तो पहुंचे, मगर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के अलावा कुछ विधायक जिनमें मंत्री भी शामिल हैं, नजर नहीं आए. इससे कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान साफ तौर पर जाहिर हुई है.
कांग्रेस के बड़े नेताओं और कई विधायकों के न पहुंचने के सवाल पर पार्टी का कोई बड़ा नेता बोलने को तैयार नहीं है. भोज के आयोजन पर जरूर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे एकजुटता का प्रदर्शन मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'इस तरह के आयोजन होते रहते हैं. दिल्ली में दोपहर और रात्रि भोज हुआ था. भोपाल में हुआ है, यह सामान्य प्रक्रिया है. कर्नाटक और गोवा की तुलना मध्य प्रदेश से न करें. वहां की स्थितियां अलग हैं.'
लेकिन भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया इस आयोजन के पीछे सरकार के भीतर का भय बताते हैं. सिसोदिया ने कहा, 'कांग्रेस घबराई हुई है. विधानसभा सत्र में एक दिन दिग्विजय सिंह आते हैं, दूसरे दिन सिंधिया का आना होता है. कांग्रेस कर्नाटक और गोवा की स्थिति को देखकर भयभीत है, क्योंकि कांग्रेस के कई लोग भाजपा के संपर्क में है.'
राज्य सरकार के कृषि मंत्री सचिन यादव और वन मंत्री उमंग सिंघार हालांकि सिसोदिया के तर्क को खारिज करते हैं. उनका कहना है, 'सरकार को न तो कोई खतरा है और न ही डर की कोई बात है. भाजपा मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रही है.'
सतर्क और सजग बनी हुई है कांग्रेस
ज्ञात हो कि भाजपा के कई बड़े नेताओं ने पिछले दिनों सरकार के अस्थिर होने का दावा करते हुए कहा था कि जब चाहेंगे सरकार गिरा देंगे. साथ ही कांग्रेस के कई विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने की बात भी सामने आई थी. उसके बाद से कांग्रेस लगातार सजग और सतर्क बनी हुई है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक-एक मंत्री को पांच-पांच विधायकों की मांगें पूरी करने के निर्देश दिए थे, उस पर अब भी अमल हो रहा है.
ज्ञात हो कि राज्य विधानसभा में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है. विधानसभा के 230 विधायकों में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 108, बीएसपी के दो, एसपी का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं. एक सीट रिक्त है.