सुवसरा में हरदीप सिंह डंग को मिली बड़ी जीत, जानिए कांग्रेस की हार के कारण
सुवासरा विधानसभा सीट पर बीजेपी के हरदीप सिंह डंग ने कांग्रेस के राकेश पाटीदार को 29 हजार 440 वोट चुनाव हराया. जानिए सुवासरा में बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत हार के कारण.
मंदसौरः मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट पर बीजेपी के हरदीप सिंह डंग ने चुनाव जीता है. उन्होंने कांग्रेस के राकेश पाटीदार को चुनाव हराया है. खास बात यह है कि हरदीप सिंह डंग 2013 का आम चुनाव महज 327 वोट से जीते थे. लेकिन अब उपचुनाव में उन्होंने 29 हजार 440 वोट से चुनाव जीता है. उनकी यह जीत कई मायनों में बड़ी मानी जा रही है.
बीजेपी प्रत्याशी के जीत के तीन कारण..
जनता में सहज सरल मिलनसार विनम्र और मददगार छवि..
हरदीप सिंह डंग की छवि सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में सहज और सरल रही है. वे आसानी से जनता के बीच उपलब्ध रहते है. लिहाजा उपचुनाव में उन्हें अपनी इस छवि का फायदा मिला और उन्होंने जीत दर्ज की.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत बीजेपी के बड़े नेताओं का सुवासरा सीट पर फोकस..
मंत्री हरदीप सिंह डंग की जीत में सीएम शिवराज सिंह चौहान का बड़ा योगदान रहा. वे यहां डंग के समर्थन में प्रचार करते हुए जनता के सामने घुटनों पर तक बैठ गए थे. जबकि सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नेताओं ने भी यहां लगातार डंग के समर्थन में प्रचार किया.
दिल्ली- मुम्बई 8 लेन सड़क, सिचाई योजनाओ की घोषणा,फसल बीमा राशि का वितरण किसान खुश, पीएम किसान स्वेच्छा निधि की 6 हजार की राशि और मुख्यमंत्री स्वेच्छा निधि की चार हजार की राशि किसानो के लिए फ़ायदेमंद रही. जिसका फायदा डंग को मिला. जबकि कमलनाथ सरकार में कर्ज माफी नहीं होने से क्षेत्र के अधिकतर किसानो में नाराजगी का फायदा भी हरदीप सिंह डंग को मिला. ये कुछ ऐसे कारण रहे जहां शायद हरदीप सिंह डंग की जीत मिली है.
कांग्रेस प्रत्याशी की हार के तीन कारण
कर्ज माफी पर वादा खिलाफी
सुवासरा में कांग्रेस प्रत्यासी राकेश पाटीदार कही न कही कमजोर नजर आए. वही कर्ज माफी पर वादा खिलाफी भी उनके खिलाफ रही. इसके अलावा तत्कालीन कमलनाथ सरकार से सुवासरा क्षेत्र के किसानों की नाराजगी का शायद उन्हें नुकसान उठाना पड़ा.
स्थानीय कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता
प्रचार के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी राकेश पाटीदार अकेले ही चुनाव मैदान में डटे रहे. स्थानीय कांग्रेस नेता चुनाव के दौरान पूरी तरह से निष्क्रिय नजर आए. जिससे चुनाव के दौरान पाटीदार अकेले रहे. उनके समर्थन में केवल कमलनाथ ही प्रचार करते नजर आए.
सामाजिक आधार पर वोटो का ध्रुवीकरण ( कांग्रेस द्वारा पोरवाल समाज को प्रतिनिधित्व ना मिलने से नाराजगी )
राकेश पाटीदार की हार में जातिगत समीकरण भी अहम रहे. कांग्रेस ने यहां पाटीदार समाज के प्रत्याशी को टिकिट दिया. जिससे शायद पोरवाल समाज की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ी.
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