बमोरी में सिसोदिया का दबदबा, जानिए कांग्रेस की करारी हार के कारण
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है. उन्होंने कांग्रेस के कन्हैयालाल अग्रवाल को 52 हजार 384 वोट के बड़े अंतर से चुनाव हराया.
गुनाः बमोरी विधानसभा सीट पर से बीजेपी प्रत्याशी और शिवराज सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने बड़ी जीत दर्ज की है. सिसोदिया ने कांग्रेस के कन्हैयालाल अग्रवाल को हराया है. यह सीट सिंधिया की प्रतिष्ठा से जुड़ी थी. लेकिन बड़ी जीत ने यहां कांग्रेस को तकड़ा झटका दिया. महेंद्र सिंह सिसोदिया ने बमोरी में 52 हजार 384 वोटों से जीत दर्ज की है.
बीजेपी प्रत्याशी महेन्द्र सिंह सिसोदिया की जीत के कारण
जातिगत समीकरण रहे पक्ष में
बमोरी में किरार समाज का वोट बैंक सिसोदिया के पक्ष में गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के किरार समाज से ही आते हैं. शिवराज के साथ इस बार उनके बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान ने भी बमोरी में जकर प्रचार किया. जिसका फायदा सिसोदिया को मिला.
अनुसूचित जनजाति के वोटरों में लोकप्रिय होने का फायदा
बमोरी सीट पर अनुसूचित जाति के वोटरों में महेंद्र सिंह सिसोदिया की अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. जबकि मंत्री बनने के बाद सिसोदिया लगातार क्षेत्र की जनता के संपर्क में रहे जिसका उपचुनाव में फायदा दिखा.
मंत्री पद का मिला फायदा
महेंद्र सिंह सिसोदिया कमलनाथ सरकार में और शिवराज सरकार में भी मंत्री रहने से क्षेत्र की जनता को विकास की उम्मीद रही. इसके अलावा सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र और सिंधिया समर्थक होने का फायदा भी सिसोदिया को मिला. जिससे उनकी राह आसान हो गयी.
कांग्रेस प्रत्याशी की हार के कारण
दल बदलू की छवि
कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैयालाल अग्रवाल चुनाव से पहले बीजेपी में थे. लेकिन बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए और चुनाव लड़े. जबकि पिछले चुनाव में वे निर्दलीय मैदान में उतरे थे. जिससे उनकी क्षेत्र में कही न कही छवि दल बदलू की रही. जिसका नुकसान शायद कांग्रेस को हुआ.
कोई परंपरागत सामाजिक वोट नहीं
कन्हैयालाल अग्रवाल जिस वर्ग से आते हैं. उस वर्ग के वोटर बमोरी सीट पर ज्यादा नहीं है. जिसका एक बड़ा फैक्ट चुनाव में रहा. परंपरागत वोटर नहीं होने की वजह से कांग्रेस को नुकसान हुआ. जिससे शायद कन्हैयालाल अग्रवाल चुनाव में पिछड़ गए.
अनुसूचित जनजाति के वोटरों तक नहीं पहुंच पाये
बमोरी विधानसभा सीट पर अनुसूचित जनजाति के वोटर सबसे अहम माने जाते हैं. जो इन वोटरों को साधता है उसकी जीत आसान हो जाती है. लेकिन कन्हैयालाल अग्रवाल इस वोट बैंक पर अपनी पकड़ नहीं बना पाए जिसका नुकसान शायद उन्हें उठाना पड़ा.
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