हाट पिपलिया: मनोज चौधरी को मिली जीत, पिता के सियासी पिच का हुआ फायदा, जानें क्यों हार गई कांग्रेस?
2018 के चुनाव में दोनों कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन जब कांग्रेस ने मनोज चौधरी को टिकट दिया तो राजवीर सिंह बघेल नाराज हो गए थे. पिता की हार का बदला लेने के लिए राजवीर सिंह बघेल ने निर्दलीय पर्चा भर दिया था. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मनाने के बाद उन्होंने नामांकन वापस ले लिया था.
भोपाल: हाटपिपलिया विधानसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली है. बीजेपी प्रत्याशी मनोज चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी राजबीर सिंह बघेल को 13719 वोटों से हरा दिया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों प्रत्याशियों के बीच इस सीट पर कड़ी टक्कर को देखने को मिली. लेकिन अंत में बीजेपी के मनोज चौधरी ने मैदान मार लिया. 2018 विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर मनोज चौधरी को जीत मिली थी. हालांकि सिंधिया के साथ मार्च 2020 में वे भी बीजेपी में शामिल हो गए थे. जिसकी वजह से यह सीट खाली हो गई थी.
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2018 के चुनाव में दोनों कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन जब कांग्रेस ने मनोज चौधरी को टिकट दिया तो राजवीर सिंह बघेल नाराज हो गए थे. पिता की हार का बदला लेने के लिए राजवीर सिंह बघेल ने निर्दलीय पर्चा भर दिया था. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मनाने के बाद उन्होंने नामांकन वापस ले लिया था. आपको बता दें कि 2008 में इन दोनों प्रत्याशियों के पिता भी इसी सीट पर सियासी ताल ठोक चुके हैं.
बीजेपी प्रत्याशी मनोज चौधरी के जीत के कारण
1-वर्तमान में बीजेपी सरकार के सत्ता में होने की वजह से क्षेत्र के लोगों को विकास की उम्मीद थी. जिसकी फायदा मनोज चौधरी को मिला. इसके अलावा किसान बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण फसल बीमा की राशि मिलने और किसानों को पीएम और सीएम स्वेच्छा निधि के तौर पर 10 हजार रु मिलने से राहत मिली थी. जिसकी वजह से जनता ने बीजेपी प्रत्याशी मनोज चौधरी को सपोर्ट किया.
2. विधानसभा क्षेत्र में मनोज चौधरी की छवि साफ-सुथरी है. साथ ही उनकी खाती समाज में पैठ भी है, जिसकी वजह से खाती समाज के वोटों का कांग्रेस और बीएसपी ध्रुवीकरण नहीं कर पाई और बीजेपी को जीत मिली.
3- मनोज चौधरी के जीत में पिता की छवि का भी अहम रोल रहा है. जिसकी वजह से पुराने मतदाताओं ने बेटा समझकर उन्हें वोट दिया और उन्हें जीत मिली.
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कांग्रेस प्रत्याशी राजबीर सिंह बघेल के हार के कारण
1. बीजेपी प्रत्याशी मनोज चौधरी इसके पहले चुनाव जीत चुके हैं, इसलिए जनता ने एक बार फिर उन पर विश्वास जताया. जिसकी वजह से राजबीर सिंह बघेल वोटों का ध्रुवीकरण नहीं करें.
2. राजबीर सिंह बघेल के पिता भले ही इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन वे क्षेत्र के मूल निवासी नहीं हैं. जिसकी वजह से उन्हें जनता ने सिरे से खारिज कर दिया.
3. जनता सिर्फ विकास पर वोट देती है. बीजेपी सरकार में रहकर मनोज चौधरी ने क्षेत्र का विकास किया था. इसके विपरीत राजबीर बघेल के पास ऐसा कुछ नहीं था. साथ ही उन्होंने प्रचार के दौरान लोगों मुद्दों को भी नहीं उठाया.
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