इस खबर में आपको डबरा, बदनावर, ग्वालियर, सांची, मेहगांव और दिमनी सीट के नतीजों का पल-पल का अपडेट मिलेगा. पढ़ते रहिए....
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भोपाल: एमपी विधानसभा की 28 विधानसभा सीटों के लिए मतगणना शुरू हो गई है. हर एक राउंड के बाद सर्टिफिकेट जारी होंगे. इस खबर में हम आपको उन छह सीटों का पल-पल का अपडेट दे रहे हैं. इस खबर में हम आपको उन छह सीटों का पल-पल का अपडेट दे रहे हैं, जिन पर शिवराज सरकार के मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं. डबरा, बदनावर, ग्वालियर, सांची, मेहगांव और दिमनी सीट से चुनाव लड़ रहे सिंधिया समर्थकों के सियासी भविष्य का फैसला आज होने वाला है, बने रहिए इस खबर पर......
1. बदनावर विधानसभा सीट- मध्य प्रदेश की जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उन्हीं में से एक धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट है, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के इस्तीफे से खाली हुई है, वे फिलहाल शिवराज सरकार में मंत्री भी हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने यहां बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत को हराया था, लेकिन सिंधिया की बगावत के साथ राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव भी बीजेपी में शामिल हो गए और उनके विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद यहां उपचुनाव की स्थिति बनी है.
इन दो नेताओं के बीच मुकाबला
साल 2013 चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत 73738 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में कांग्रस के राजवर्धन सिंह को 63926 वोट मिले थे. बदनावर में पहली बार उपचुनाव हो रहा है. बीजेपी ने राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने कमल पटेल को मौका दिया है.
बदनावर में बंपर वोटिंग
बदनावर विधानसभा क्षेत्र में बंपर वोटिंग हुई है. यहां 81.26 फीसदी वोट पड़े, जबकि सूबे की कुल 28 सीटों पर 66.37 प्रतिशत वोटिंग हुई. 3 नवंबर को हुए मतदान के बाद यहां सियासी दलों की धड़कने तेज हो गई हैं. आज नतीजों के रुझान आना शुरू हो गए हैं. कुछ ही घंटों पर बदनावर को नया विधायक मिलने जा रहा है.
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2. डबरा विधानसभा सीट- मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग की 16 सीटों में से सबसे ज्यादा अगर किसी की नजर इस वक्त है तो वो डबरा विधानसभा सीट है, यहां से भारतीय जनता पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक इमरती देवी को मैदान में उतारा है. ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प तस्वीर बनी है.
इस सीट से चुनाव लड़ रहे बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी और कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे आपस में समथी-समथन हैं. दूसरी अहम बात ये है कि दोनों प्रत्याशी यहां दल बदल कर मैदान में उतरे हैं. इमरती देवी पहले कांग्रेस में थीं, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गयीं. वहीं सुरेश राजे पहले बीजेपी में थे, लेकिन अब कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव मैदान में हैं. लिहाजा यहां मुकाबला और दिलचस्प होता दिख रहा है.
कमलनाथ के आइटम वाले बयान से चर्चा में डबरा सीट
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के इमरती देवी पर दिए गए आइटम वाले बयान के बाद यहां की सियासी फिजा रोचक हो चुकी है. कमलनाथ के बयान के बाद डबरा विधानसभा सीट पर अब मुद्दा विकास से बदलकर महिला सम्मान के नाम पर लड़ा जा रहा है. लिहाजा इस सीट के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हैं.
2008 से लगातार चुनाव जीत रहीं इमरती देवी
डबरा विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी 2008 से कांग्रेस के टिकिट पर इस सीट से लगातार तीन चुनाव जीतती आ रही हैं. हर चुनाव में उनकी जीत का मार्जिन भी बढ़ता गया. 2018 के चुनाव में इमरती देवी ने बीजेपी के कप्तान सिंह को 57 हजार 446 हराया और कमलनाथ सरकार में मंत्री बनाई गईं. बाद में सिंधिया की बगावत के साथ ही उन्होंने विधायकी से इस्तीफा देकर हुए बीजेपी का दामन थाम लिया. तोहफे में उन्हें शिवराज सरकार में भी मंत्री पद दिया गया.
3. ग्वालियर विधानसभा सीट- मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में ग्वालियर सीट भी शामिल है. ये सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे खास समर्थक प्रद्युमन सिंह तोमर के इस्तीफे से खाली हुई है. ये सीट उपचुनाव में इसलिए खास है कि यहां राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर है. कांग्रेस से बगावत करने वाले सिंधिया समर्थक प्रद्युमन सिंह तोमर यहां से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जो शिवराज सरकार में मंत्री भी हैं, जबकि कांग्रेस ने कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी रहे सुनाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है.
मंत्री पद रहे हुए दूसरी बार चुनाव लड़ रहे तोमर
संघ के प्रभाव वाली ग्वालियर विधानसभा सीट पर 2008 के चुनाव में कांग्रेस के प्रद्युमन सिंह तोमर 2 हजार 90 वोट से चुनाव जीते थे, लेकिन 2013 में उन्हें बीजेपी के जयभान सिंह पवैया से हार का सामना करना पड़ा. 2018 में तोमर ने वापसी करते हुए जयभान सिंह पवैया को पटखनी दी और कमलनाथ सरकार में मंत्री बने, लेकिन वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ विधायकी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए और अब शिवराज सरकार में मंत्री पद रहते हुए दूसरी बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं.
किसी दल का नहीं रहा दबदबा
ग्वालियर विधानसभा सीट की बात जाए तो 1957 से अस्तित्व में आई इस सीट पर कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा. कांग्रेस और बीजेपी समय-समय पर यहां जीत दर्ज करती रही है. अब तक इस सीट पर 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. जिनमें सबसे ज्यादा 6 बार जनसंघ और बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. वहीं पांच बार कांग्रेस ने बाजी मारी और तीन बार अन्य दलों के प्रत्याशियों को जीत का स्वाद चखा.
4. सांची विधानसभा सीट-रायसेन जिले की सांची सीट की सियासी जंग रोचक नजर आ रही है. यहां मुख्य मुकाबला दो चौधरियों के बीच है. दल बदलकर बीजेपी में पहुंचे प्रभु राम चौधरी को कांग्रेस के उम्मीदवार मदन लाल चौधरी टक्कर दे रहे हैं. कुछ ही घंटों में सांची को नया विधायक मिल जाएगा. राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले प्रभु राम चौधरी इस बार यहां से बीजेपी की टिकट पर मैदान में हैं, वे शिवराज सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, जबकि कांग्रेस ने मदन लाल चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है.
अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है सीट
सांची विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. सांची विधानसभा सीट का उपचुनाव इसलिए काफी अहम है, क्योंकि यहां दशकों से जिन प्रत्याशियों के बीच चुनावी जंग होती थी वो इस बार एक ही दल में हैं. प्रभुराम चौधरी के बीजेपी में शामिल होने के बाद सालों तक चला 'गौरीशंकर शेजवार वर्सेज प्रभुराम चौधरी' का चुनावी मुकाबला अब खत्म हो गया है.
कांग्रेस की टिकट पर पिछले चुनाव जीते थे प्रभुराम चौधरी
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रभुराम चौधरी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे और बीजेपी के मुदित शेजवार को पटखनी दी थी, जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के उम्मीदवार डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने कांग्रेस के डॉ. प्रभुराम चौधरी को चुनाव में हराया था. वहीं, 2008 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बीजेपी के डॉ. गौरीशंकर शेजवार पर जीत हासिल की थी.
5. मेहगांव विधानसभा सीट- भिंड जिले की जिन दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें मेहगांव सीट भी शामिल है. इस सीट पर पूर्व विधायक ओपीएस भदौरिया के इस्तीफे के चलते उपचुनाव हो रहा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े ओपीएस भदौरिया ने बीजेपी के राकेश शुक्ला को हराया था. हाल ही में ओपीएस भदौरिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें शिवराज सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया. अब वे बीजेपी की टिकट पर ताल ठोक रहे हैं, जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक हेमंत कटारे पर दांव लगाया है, जिनका मेहगांव सीट पर अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है.
जातिगत समीकरण अहम
चंबल अंचल की सीट होने की वजह से मेहगांव में जातिगत समीकरण सबसे अहम माने जाते हैं. मेहगांव में ब्राह्मण और क्षत्रिय सबसे ज्यादा हैं. लिहाजा दोनों पार्टियों ने इन्हीं वर्गों से आने वाले उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. तो बीजेपी ने क्षत्रिय प्रत्याशी पर भरोसा जताया है. जबकि बसपा से अनिल नरवरिया मैदान में है. इसके अलावा गुर्जर और अनुसूचित जाति के वोटर भी अहम माने जाते हैं, जो चुनाव में प्रभावी भूमिका निभाते हैं.
पिछले दो चुनाव के नतीजे
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राकेश शुक्ला को कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया ने 25814 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हरा दिया था, जबकि साल 2013 में इस सीट पर बीजेपी के मुकेश चौधरी जीते थे.
6. दिमनी विधानसभा सीट- दिमनी विधानसभा सीट मुरैना जिले के अंतर्गत आती है. यह सीट भारतीय जनता पार्टी की परंपरागत सीट मानी जाती है, हालांकि पिछली दो चुनावों से इस सीट पर बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है. ये सीट गिर्राज दंडोतिया के इस्तीफे से खाली हुई है, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और शिवराज सरकार में उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है.
इन दो नेताओं के बीच मुकाबला
बीजेपी ने उपचुनाव में गिर्राज दंडोतिया को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस की तरफ से रविन्द्र सिंह तोमर मैदान में हैं.
पिछले चुनाव के परिणाम
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में गिर्राज दंडोतिया 18,477 वोटों से जीते थे, जबकि बीजेपी के शिव मंगल सिंह तोमर को हार का सामना करना पड़ा था. वैसे दिमनी बीजेपी की परंपरागत सीट रही है, लेकिन 2013 में बसपा के बलबीर दंडोतिया ने दिमनी सीट जीत ली थी. उसके बाद 2018 में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया चुने थे.
बीजेपी को 8 सीटें जीतना जरूरी, कांग्रेस को चाहिए 28
मध्यप्रदेश में कुल 230 सीटें हैं. फिलवक्त सत्ताधारी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 87 विधायक हैं. वहीं दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायक हैं. दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली. लिहाजा वर्तमान में बीजेपी को बहुमत के लिए महज 8 सीटों की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के लिए सभी 28 सीटें जीतनी होंगी.
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