MP: कंप्यूटर बाबा का संत समागम बना नोट समागम कार्यक्रम, खुलेआम बाटे गए लाखों रुपये
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MP: कंप्यूटर बाबा का संत समागम बना नोट समागम कार्यक्रम, खुलेआम बाटे गए लाखों रुपये

इस सिलसिले में सभी संतो को कहीं 500, कहीं 1000 तो कहीं 2000 का लिफाफा दिया जाने लगा. कार्यक्रम में हजारों साधु-संतों को लिफाफे के अंदर रुपए देकर विदा किया गया.

कार्यक्रम के बाद रात में बाटे गए रुपये

करण मिश्रा, इंदौरः मध्य प्रदेश में राजनीति का मंच अब सिर्फ राजनेताओं तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि अब राजनीति में संत भी दखल देना शुरू कर चुके हैं. मध्यप्रदेश में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त करने के बाद पद को त्यागने वाले कंप्यूटर बाबा ने ग्वालियर के कोटेश्वर मंदिर के पास एक वाटिका में ग्वालियर चंबल संभाग के सभी संतो के साथ संत समागम का कार्यक्रम आयोजित किया था, लेकिन यह कार्यक्रम अब चर्चाओं का विषय बन चुका है. क्योंकि इस कार्यक्रम में जहां दिन में संतों ने शिवराज सरकार पर लगातार बार करते हुए नर्मदा से लेकर अवैध खनन तक सभी मुद्दों को उजागर किया, वहीं देर रात होते ही यह पूरा समागम नोटों के समागम में तब्दील हो गया.

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लिफाफे में बाटे गए रुपये
जैसे-जैसे शाम ढलने लगी वैसे-वैसे लगातार संत जो कि संत समागम कार्यक्रम में सम्मिलित होने दूर दूर से आए थे सभी लोग सभी संतों को हाथ में एक लिफाफा देने लगे. इस सिलसिले में सभी संतो को कहीं 500, कहीं 1000 तो कहीं 2000 का लिफाफा दिया जाने लगा. कार्यक्रम में हजारों साधु-संतों को लिफाफे के अंदर रुपए देकर विदा किया गया. आपको बता दें मध्य प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पूरे प्रदेश के अंदर आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है. आदर्श आचार संहिता के दौरान खुलेआम संतो को लिफाफा के अंदर रुपये बांटना संदेह के घेरे में आता है.

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संत समागम के बाद बाटे गए रुपये
कंप्यूटर बाबा को आखिर क्या आवश्यकता पड़ गई कि संत समागम के दौरान उनको अपने आने वाले सभी संतों को रुपये बांटने पड़े. संत समाज के लोगों को बांटे जाने वाली राशि आखिर कहां से आई और क्यों बांटी गई यह अब प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है. वहीं कंप्यूटर बाबा भी सभी संत समाज के लोगों को रुपये बांटने की बात से पूरी तरह मुकर गए हैं. कंप्यूटर बाबा ने इस पूरे वाकये को झूठ बताते हुए कहा कि 'ऐसा कुछ नहीं है. कार्यक्रम में ऐसा कुछ नहीं हुआ है', लेकिन कार्यक्रम में इस तरह से पैसे बांटे जाना कई सवाल खड़े करता है.

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