अर्जी में कहा गया है कि गवर्नर पहले से ये मानकर चल रहे है कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में है.
Trending Photos
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश का सियासी संग्राम खत्म होता नहीं दिख रहा है. विधानसभा, राजभवन और अब सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले में गूंज देखी जा सकती है. बीजेपी के बाद अब कांग्रेस ने भी अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कांग्रेस में बीजेपी पर 15 विधायकों का अपहरण कर बंधक रखने का आरोप लगाया गया है. कांग्रेस ने कहा है कि कोर्ट इनकी रिहाई सुनिश्चित करें. याचिका में कहा गया है कि इन विधायकों की गैरमौजूदगी में विश्वास मत नहीं हो सकता है.
इस याचिका में फ्लोर टेस्ट कराए जाने के गवर्नर के आदेश पर सवाल उठाया गया है. याचिका में कोर्ट से कहा गया है कि राज्यपाल पहले से ये मानकर चल रहे हैं कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में है. याचिका में प्रतिवादियों में केन्द्र सरकार, कर्नाटक सरकार, मध्यप्रदेश सरकार, मध्यप्रदेश बीजेपी और कांग्रेस के 15 विधायकों के नाम हैं.
अगर 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है तो पहले उनकी सीट पर दोबारा चुनाव हो, क्योंकि इन विधायकों के इस्तीफ़े का मक़सद सरकार को गिराना है. यह अर्ज़ी विधानसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप गोविंद सिंह के नाम से दायर की गई है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज मध्यप्रदेश में बहुमत परीक्षण के मामले पर कमलनाथ सरकार और स्पीकर को नोटिस जारी कर बुधवार सुबह 10:30 बजे तक उनसे जवाब मांगा है. इसके बाद सुनवाई को आज के लिए टाल दिया गया. इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार सुबह 10:30 बजे होगी. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और 9 बीजेपी विधायकों ने सोमवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में तुरंत फ्लोर टेस्ट करवाने के लिए याचिका डाली थी. बीजेपी ने इस याचिका में 12 घंटे के अंदर मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की थी. इससे पहले सोमवार को विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्रवाई को 26 मार्च तक स्थगित कर चुके हैं.
बता दें कि मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच कमलनाथ सरकार ने सोमवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं होने दिया. पहले मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने बजट पर अपना अभिभाषण 1 मिनट में ही खत्म कर दिया और विधानसभा के सभी सदस्यों को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने सभी से संविधान की मर्यादा बनाए रखने की अपील की. इसके बाद मीडिया के कैमरों को सदन के अंदर से हटा दिया गया.
ये भी पढ़ें- भीमा कोरेगांव केस: गौतम नवलखा को SC से राहत नहीं, 3 हफ्ते में करना होगा सरेंडर
इसके बाद सदन में फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर बीजेपी विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया. फिर संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने स्पीकर एनपी प्रजापति से कोरोना वायरस के खतरे का हवाला देकर विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित करने की सिफारिश की. फिर स्पीकर एनपी प्रजापति ने उनकी बात मानते हुए सदन की कार्रवाई स्थगित करने का फैसला किया.
ये भी पढ़ें- CJI बोबड़े ने पूछा- जेलों में COVID-19 से निपटने के लिए क्या कर रही है सरकार?
गौरतलब है कि पहले कहा जा रहा था कि मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं होने की स्थिति में बागी विधायकों की राजभवन में परेड कराई जा सकती है. इससे पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट की संभावना के बीच रविवार को रात 2 बजे हरियाणा के मानेसर से बीजेपी के 100 से ज्यादा विधायक भोपाल पहुंचे गए थे. भोपाल में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव बीजेपी विधायकों को रिसीव करने पहुंचे थे.