चोरी हुआ कलश करीब 55 किलो वजनी है और इसकी कीमत 15 करोड़ से भी अधिक है. इसकी स्थापना महाराजा खलकसिंह जूदेव ने की थी.
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नई दिल्लीः मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के खनियाधाना किले के राजमहल से 50 किलो से भी अधिक वजन का सोने का कलश चोरी हो जाने से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है. जानकारों के मुताबिक मंदिर में लगा में लगा यह कलश करीब 300 वर्ष से भी अधिक पुराना और 55 किलो वजनी है. जिसकी कीमत 15 करोड़ से अधिक है. वहीं 300 वर्ष पुराना होने से इसका ऐतिहासिक महत्व भी काफी बढ़ जाता है. ऐसे में इस कलश के चोरी हो जाने से खनियाधाना के लोगों में काफी गुस्सा भी है. मंदिर से इस तरह से कलश के चोरी हो जाने से इलाके के लोगों ने गुस्सा जाहिर करते हुए बाजार भी बंद करवा दिया है.
शैलेंद्र सिंह जूदेव ने पुलिस को दी सूचना
बता दें घटना बुधवार और गुरुवार की रात की है. खनियाधाना नगर पंचायत अध्यक्ष एवं राम-जानकी मंदिर के संरक्षक शैलेन्द्र सिंह जूदेव ने सबसे पहले मंदिर की शिखर पर स्थापित स्वर्ण कलश को गायब देखा और पुलिस को सूचित किया. दरअसल, जूदेव खनियाधाना राज परिवार के सदस्य हैं और किले के ही एक भाग में रहते हैं. जबकि मंदिर किले के दूसरे हिस्से में स्थित है. सुबह उठने पर जैसे ही शैलेंद्र सिंह ने मंदिर से कलश गायब देखने पर पुलिस को इसकी सूचना दी.
कलश चोरी करने वाले की जानकारी देने वाले को 10 हजार का ईनाम
वहीं मौके पर पहुंची पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है. जानकारी मिलने पर पुलिस डॉग स्कवाड और फिंगर प्रिंट एक्सर्पट के साथ मौके पर पहुंची और मंदिर के आस-पास के इलाके की जांच की. पुलिस के मुताबिक उन्हें चोरों का अब तक पता नहीं चला है, लेकिन वह जल्द ही चोरों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. पुलिस ने कलश चुराने वालों की जानकारी देने वाले को 10 हजार रुपये ईनाम देने की भी घोषणा की है.
ओरछा और खनियाधाना में एक साथ चढ़ाए गए थे कलश
मंदिर के संरक्षक जूदेव ने बताया कि "चोरी हुआ कलश करीब 55 किलो वजनी है और इसकी कीमत 15 करोड़ से भी अधिक है. इसकी स्थापना महाराजा खलकसिंह जूदेव ने की थी. राम जानकी मंदिर ऐतिहासिक रूप से भी काफी महत्व रखता है. यहा हमारे पूर्वजों के आराधना की स्थली है. 300 वर्ष पूर्व जब मंदिर का निर्माण कराया गया था तब ओरछा धाम के राम-राजा मंदिर और खनियांधाना के राम-जानकी मंदिर के कलश का निर्माण कराया गया था. दोनों मंदिरों के गुंबद पर एक साथ कलश चढ़ाए गए थे."