फ्री में बांटी जाएंगी 1.62 करोड़ मच्छरदानियां, इस राज्य के लिए जरूरी है ये खबर
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फ्री में बांटी जाएंगी 1.62 करोड़ मच्छरदानियां, इस राज्य के लिए जरूरी है ये खबर

सरकार का दावा है कि इस मच्छरदानी की मजबूती और कीटनाशक क्षमता अधिक समय तक प्रभावी रहेगी.

फ्री में बांटी जाएंगी 1.62 करोड़ मच्छरदानियां, इस राज्य के लिए जरूरी है ये खबर

भोपाल/खंडवा: मध्य प्रदेश में मलेरिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य महकमा गरीबों को निशुल्क मच्छरदानी बांटने जा रहा है. इसकी शुरुआत गणतंत्र दिवस के मौके पर छिंदवाड़ा और खंडवा से होने वाली है. राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है. आलम यह है कि राज्य के 52 जिलों में 250 से अधिक सरकारी अस्पताल हैं जिनमें आधे से अधिक पद खाली हैं. लिहाजा मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज ही नहीं हो पाता. इतना ही नहीं सरकारी अस्पतालों में मलेरिया सहित अन्य बीमारियों से मरीजों का मौत का प्रतिशत साल-दर-साल बढ़ रहा है.

सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य महकमे ने मलेरिया जैसी बीमारी पर रोकथाम के लिए मच्छारदानी वितरण की योजना बनाई है. ऐसा इसलिए क्योंकि मलेरिया की चपेट में सबसे ज्यादा गरीब और कमजोर वर्ग के लोग आते हैं.

खंडवा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रतन खंडेलवाल के अनुसार, जिले के 228 गांव में 1,73,200 मच्छरदानियां वितरित की जानी हैं. वहीं प्रदेश में गरीब, कमजोर और अनुसूचित जाति तथा जनजाति वर्ग के 1.62 करोड़ जरूरतमंद व्यक्तियों को कीटनाशक दवायुक्त मच्छरदानी नि:शुल्क वितरित की जाएंगी.

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ छिन्दवाड़ा और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट खंडवा में मच्छरदानी वितरण कार्य का शुभारंभ करेगे. मंत्री परिषद के अन्य सदस्य अपने-अपने प्रभार के जिलों में मच्छरदानी वितरण कार्य का शुभारंभ करेंगे.

डा. खंडेलवाल के अनुसार, मच्छरदानियों को नई तकनीक के जरिए "लांग लस्टिंग इन्सेक्टीसाइडल नेट" से बनाया गया है. इसके निर्माण के दौरान ही नायलॉन के धागों में कीटनाशक दवा सिंथेटिक पायरेथ्राइड मिश्रित की गई है.

सरकार का दावा है कि इस मच्छरदानी की मजबूती और कीटनाशक क्षमता अधिक समय तक प्रभावी रहेगी. कीटनाशकयुक्त मच्छरदानी के उपयोग से मलेरिया के संक्रमण और अन्य मच्छर जनित रोगों से सुरक्षा मिलती है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसके उपयोग के बाद मलेरिया के मामलों में 60 से 80 प्रतिशत की कमी आने के आसार हैं.

(इनपुट-आईएएनएस)

 

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