इधर राहुल ने किया भोपाल का दौरा, उधर दिल्ली पहुंचा MP कांग्रेस का डेटा, अब 6 दिन अहम
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इधर राहुल ने किया भोपाल का दौरा, उधर दिल्ली पहुंचा MP कांग्रेस का डेटा, अब 6 दिन अहम

MP Congress Jila Adhyaksh: मध्य प्रदेश में राहुल गांधी के दौरे के बाद अब जिलाध्यक्षों को लेकर एक बार फिर से हलचल शुरू हो गई है. माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी जल्द ही अब जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां कर सकती है.

राहुल गांधी के दौरे के बाद जिलाध्यक्षों को लेकर हलचल शुरू
राहुल गांधी के दौरे के बाद जिलाध्यक्षों को लेकर हलचल शुरू

MP News: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 3 जून को भोपाल का दौरा किया था, इस दौरान उन्होंने 6 घंटे में 4 बैठकें की थी, राहुल का दौरा पूरी तरह से संगठन को लेकर था. उन्होंने मध्य प्रदेश में 'संगठन सृजन अभियान' की शुरुआत करती है, बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के दौरे के बाद अब एमपी में फिर से कांग्रेस जिलाध्यक्षों को लेकर हलचल शुरू हो गई है. क्योंकि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी ने जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरी करने की बात कही है. कांग्रेस की तरफ से मध्य प्रदेश में जो ऑब्जर्वर नियुक्त किए गए हैं, उन्होंने पूरा डेटा और जातिगत समीकरण के साथ कांग्रेस आलाकमान को भी भेज दिया है. 

एमपी कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के लिए बना पैनल 

दरअसल, कांग्रेस ने इस बार मध्य प्रदेश के सभी जिलों में अलग-अलग ऑब्जर्वर्स बनाए हैं, जिन्होंने पूरा डेटा जिलाध्यक्षों के चयन के लिए बनाया है, ऑब्जर्वर्स को जिले का जातिगत डेटा फोल्डर में बनाकर राहुल गांधी को देना है, ताकि जो पैनल तैयार किया गया है, उसमें जिले से अध्यक्ष के लिए ऐसा नाम चुना जाए जो सबकी पसंद का होना चाहिए. क्योंकि जिलाध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जो जातिगत समीकरणों के हिसाब से अध्यक्ष के लिए पूरी तरह से फिट है या नहीं. जबकि पार्टी में उनका योगदान कैसा है और उन्होंने क्या काम किया है. इसी के आधार पर जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया होगी और उस पर काम होगा. 

चुनाव लड़ना है तो नहीं मिलेगा पद 

खास बात यह है कि कांग्रेस की तरफ से यह स्पष्ट हो गया है, जिन नेताओं को विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ना है, उन्हें दावेदारी नहीं करनी है, जबकि जिसे जिलाध्यक्ष बनाया जाता है, अगर वह भी चुनाव लड़ने की इच्छा रखता है तो फिर उसे डेढ़ साल पहले ही जिलाध्यक्ष का पद छोड़ना होगा, क्योंकि वह जिलाध्यक्ष रहते हुए चुनाव नहीं लड़ सकता है. क्योंकि उसे संगठन के लिए काम करना है, लेकिन अगर वह चुनाव लड़ता है तो उसका पूरा फोकस खुद पर हो जाता है, जिससे संगठन के काम में दिक्कत आती है, इसलिए जिलाध्यक्ष के लिए यह बात जरूरी है कि वह चुनाव लड़ने की इच्छा रखता है तो पहले ही पद छोड़ दे. 

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6 दिन अहम 

राहुल गांधी ने कांग्रेस के ऑब्जर्वर्स को 20 दिन का समय दिया है, लेकिन शुरुआत में कम से कम 6 दिनों के अंदर ही जिलाध्यक्षों के दावेदारों की लिस्ट तैयार करनी है और उन्हें आगे भेजना है, इसके बाद बाकि की प्रक्रिया पर काम होगा. यानि यह 6 दिन पार्टी के लिहाज से अहम माने जा रहे हैं.  एमपी कांग्रेस ने भी 165 ऑब्जर्वर नियुक्त किए हैं, जिन्हें अब 10 जून से 30 जून तक का टाइम मिला है, जिन्हें जल्द से जल्द पूरा करना है. 

बता दें कि राहुल गांधी का पूरा फोकस मध्य प्रदेश पर भी चल रहा है, विधानसभा चुनाव के बाद से राहुल गांधी के नेतृत्व में ही नई टीम लगातार मध्य प्रदेश में काम कर रही है. माना जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में पार्टी में नए स्तर पर कुछ बड़े बदलाव हो सकते हैं, क्योंकि पार्टी अभी से 2028 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट रही है, जिसमें संगठन की अहम भूमिका होने वाली है. (सोर्स दैनिक भास्कर)

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