महाकौशल: SP-BSP और GGP की मौजूदगी बढ़ा सकती है कांग्रेस की मुश्किलें
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महाकौशल: SP-BSP और GGP की मौजूदगी बढ़ा सकती है कांग्रेस की मुश्किलें

महाकौशल अंचल में आने वाली 38 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने जिन 13 सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें से 8 सीटों पर उसकी जीत का अंतर महज चंद फीसदी था.

बालाघाट का कान्‍हा टाइगर रिजर्व महाकौशल के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों में एक है. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: महाकौशल के जिस सियासी किले को लेकर कांग्रेस कभी दम भरती थी, आज वह किला बीजेपी के कब्‍जे में है. मध्‍य प्रदेश में सत्‍ता विरोधी लहर की खबरों के बावजूद विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी से इस किले को छीनना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा. दरअसल, बीते दो दशकों में बीजेपी ने इस क्षेत्र में अपनी जड़ें, तो मजबूत की ही हैं, साथ ही समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) का भी जनाधार बढ़ा है. 

  1. महाकौशल इलाके में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है बीजेपी
  2. सपा-बसपा व जीजीपी कांग्रेस की राह में बन सकते हैं रोड़ा
  3. छिंदवाड़ा की 8 में से 5 सीटों पर BJP ने हासिल की थी जीत

महाकौशल में मजबूत होती सपा, बसपा और जीजीपी ने सबसे बड़ी सेंध कांग्रेस के पारंपरिक आदिवासी वोट में लगाई है. कांग्रेस के वोट बैंक पर लगी इस सेंध का असर मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 के नतीजों में भी दिखाई देता है. जिसमें महाकौशल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 38 विधानसभा सीटों में से 24 सीटों पर बीजेपी ने कब्‍जा किया, जबकि कांग्रेस को यहां महज 13 सीटों से संतोष करना पड़ा. एक विधानसभा सीट निर्दलीय प्रत्‍याशी के खाते में गई. 

कांग्रेस ने महज चंद फीसदी के अंतर से जीतीं 13 में से 8 सीटें
मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस भले ही 38 में से 13 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही हो, लेकिन यह जीत कहीं से भी उसके लिए संतोषजनक नहीं थी. दरअसल, कांग्रेस ने जिन 13 सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें से 8 सीटों पर उसकी जीत का अंतर महज चंद फीसदी था. 

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बीते चुनावों में कांग्रेस ने महज 0.28 फीसदी अंतर से कटनी जिले की विजय-राघवगढ़ , 3 फीसदी वोट के अंतर से डिंडोरी, 1 फीसदी के अंतर से पांढुर्ना, 5 फीसदी के अंतर से परासिया, 2 फीसदी वोट के अंतर से अमरवाड़ा, 3 फीसदी वोट के अंतर से केवलारी, 2  फीसदी के अंतर से मंडला और 1 फीसदी से कम वोटों के अंतर से जबलपुर पश्चिम सीट पर जीत दर्ज की थी. 

मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में इन सीटों पर वोटों का थोड़ा-सा भी हेरफर कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा सकता है. 

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कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भी लहराया था बीजेपी का परचम
मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 को जीतने के लिए कांग्रेस ने मुख्‍यत: दो चेहरों को सूबे में आगे किया है. जिसमें पहला चेहरा प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कमलनाथ और दूसरा चेहरा ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया का है. छिंदवाड़ा को कमलनाथ का अजेय गढ़ माना जाता है. बावजूद इसके, बीते विधानसभा चुनावों में बीजेपी कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में अपना परचम लहराने में कामयाब रही थी. 

बीते विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा की 8 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर बीजेपी और 3 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. वहीं जिन सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी, वहां पर हार-जीत का अंतर 1 फीसदी से 5 फीसदी के बीच था. वहीं विधानसभा चुनाव 2008 में छिंदवाड़ा की 8 विधानसभा सीटों में 4 पर बीजेपी और 4 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी. 

महाकौशल का भौगोलिक परिदृश्‍य एवं प्राकृतिक संवृद्धि
मध्‍य प्रदेश के महाकौशल इलाके में मुख्‍यत: 8 जिले आते हैं. जिसमें कटनी, जबलपुर, डिंडौरी, मंडला, बालाघाट, सिवनी, नरसिंहपुर और छिंदवाड़ा शामिल हैं. महाकौशल का कटनी जिला चूना पत्‍थर के लिए देश में विख्‍यात है. वहीं, बालाघाट जिले में भरवेली और उक्वा में मैंगनीज की खदानें हैं. भरवेली में तो एशिया की सबसे बड़ी मैंगनीज खदान है.

महाकौशल के पर्यटक एवं ऐतिहासिक स्‍थल
पर्यटन के लिहाज से भी महाकौशल बेहद खास है. यहां के प्रमुख पर्यटक स्‍थलों में कटनी जिले का ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, बिलहरी और करोन्दी रूपनाथ कारीतराई है. इन पर्यटन स्‍थलों का इतिहास मौर्य, गुप्‍त, चंदेल और कलचुरी से जुड़ा हुआ है. 

बालाघाट के प्रसिद्ध स्थलों में कान्हा टाइगर राष्ट्रीय उद्यान, हट्टा की बावड़ी, लांजी का प्राचीन किला, गंगुल्पारा बांध एवं जल प्रपात, धुती बांध, किरनाई मन्दिर और रामपायली में स्थित प्राचीन मंदिर शामिल हैं. महाकौशल के डिंडौरी जिले में कई ऐतिहासिक स्थान हैं. इनमें लक्ष्मण माडव, कुकरामठ, कलचुरी काली मंदिर आदि काफी प्रसिद्ध हैं.

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