Kaal Bhairav Ashtami 2021: उज्जैन में भैरव बाबा को चढ़ेगी 56 प्रकार की शराब, जानिए इसके पीछे का रहस्य
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Kaal Bhairav Ashtami 2021: उज्जैन में भैरव बाबा को चढ़ेगी 56 प्रकार की शराब, जानिए इसके पीछे का रहस्य

विश्व प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर में आज से दो दिवसीय भैरव अष्टमी पर्व की हुई शुरुआत हुई. रात 9 बजे की विशेष आरती के बाद देर रात 12 बजे भगवान काल भैरव का विशेष पूजन होगा.

भगवान को चढ़ा रहे मदिरा

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर में आज से दो दिवसीय भैरव अष्टमी पर्व की हुई शुरुआत हुई. रात 9 बजे की विशेष आरती के बाद देर रात 12 बजे भगवान काल भैरव का विशेष पूजन होगा. इसके बाद भैरव बाबा को 56 प्रकार की शराब का भोग भी लगाया जाएगा. फिर अगले दिन 111 तकह के पकवानों का भंडारा होगा. 

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बता दें कि मन्दिर को आकर्षक विद्युत रोशनी, फूलों व बलून से सजाया गया है. अगले दिन 28 नवंबर शाम 4 बजे बाबा भैरव नगर भ्रमण पर निकलेंगे. इसमें भेरवगढ़ जेल का प्रशासनिक अमल बाबा को सलामी देगा.

दो साल से कोरोना में कई प्रतिबंध थे
गौरतलब है कि विगत दो वर्षों से कोरोना के चलते कई प्रतिबंध लगाए गए थे. जो अब पूरी तरह से हटा दिए गए है. बाबा दो साल बाद पहली बार भक्तो को दर्शन देंगे. वहीं शहर के अन्य भैरव मंदिरों में भी विशेष आयोजन होंगे. 

शिव के रूप में बाबा भैरव
भैरव अर्थात भय से रक्षा करने वाला, इन्हें शिव का ही रूप माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार काल भैरव भगवान शिव का ही साहसिक और युवा रूप हैं. जिन्हें रुद्रावतार भी कहते हैं. जो शत्रुओं और संकट से मुक्ति दिलाते हैं. उनकी कृपा हो तो कोर्ट-कचहरी के चक्करों से जल्दी छुटकारा मिल जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है. उज्जैन में विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है. जहां पर कालभैरव भगवान पर मदिरा का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. 

भैरव बाबा को अर्पित होने वाली शराब कहां जाती है?
भगवान काल भैरव को शराब का प्रसाद लगाने की प्रथा आज भी चल रही है और यह कोई नहीं जानता है कि यह प्रथा कब, कैसे और किसने शुरू की? इस मंदिर के संबंध चमत्कारी बात ये है कि यहां स्थित कालभैरव की प्रतिमा मदिरा (शराब) का सेवन करती है लेकिन मदिरा जाती कहां है ये रहस्य आज भी बना हुआ है. 

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काल भैरव से जुड़े कुछ तथ्य
भगवान काल भैरव को उज्जैन का कोतवाल भी कहा जाता है.
भगवान ब्रह्मा के पांचवे शीश का खंडन भगवान काल भैरव ने ही किया था.
भगवान काल भैरव को भगवान शंकर का उग्र और तेजस्वी स्वरुप माना जाता है.
सभी प्रकार के पूजन और हवन में रक्षा के लिए इनका पूजन किया जाता है.

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