AIIMS Bhopal: भोपाल एम्स और आईआईटी मिलकर एक ऐसा डिजिटल टूल बना रहे हैं, जिसका फायदा सबसे ज्यादा कैंसर के मरीजों को होगा.
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MP News: कैंसर के मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए भोपाल एम्स और आईआईटी इंदौर एक बड़ी पहल करने जा रहा है, दोनों मिलकर एक ऐसा स्वदेशी डिजिटल टूल बनाने जा रहे हैं, जिसका फायदा कैंसर के मरीजों को मिलेगा. यह टूल कैंसर के मरीजों के इलाज के काम आएगा और उनकी लाइफ को बेहतर बनाने में मदद करेगा. ऐसे में यह एक अच्छा प्रयोग रहेगा जो कैंसर के मरीजों के लिए उपयोगी साबित होने वाला है.
कैंसर मरीजों की सभी जानकारी रखेगा
बताया जा रहा है कि यह टूल मरीजों के इलाज की पूरी जानकारी रखेगा और उनकी हर अपडेट लेगा. यह टूल मरीजों की पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक और मानसिक स्थिति पर नजर रखेगा, ताकि मरीजों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य मिल सके, यह टूल कैंसर के मरीजों का मानसिक स्वास्थ्य भी मजबूत करने में मदद करेगा. खास बात यह है कि यह टूल पूरी तरह से स्वदेशी रहेगा जो कैंसर के भारतीय मरीजों के हिसाब से बनाता है. क्योंकि अब तक जो टूल थे वह सब पश्चिमी मानकों के आधार पर बने हुए थे, जो भारतीय मरीजों की दिनचर्या के हिसाब से एकदम परफेक्ट नहीं होते थे, ऐसे में यह टूल केवल भारतीय मरीजों के ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है.
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कैसे काम करेगा यह टूल
इस टूल को विकसित करने में केंद्र सरकार की तरफ से मदद मिल रही है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत यह टूल विकसित किया जा रहा है, जिसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से 20 लाख रुपए की पहली किस्त भी मिल चुकी है. यह टूल सेल्फ-लर्निंग सिस्टम के हिसाब से काम करेगा, जिसमें कैंसर के भारतीय मरीजों के लिए सभी तरह के उपयुक्त पैरामीटर्स फीड रहेंगे. जब यह पूरी तरह से विकसित होगा तो इसे भोपाल की कैंसर यूनिट में शामिल किया जाएगा. वहीं मरीज के परिजन डॉक्टरों को जिस तरह की जानकारी देंगे उसी तरह से टूल काम करेगा. यह टूल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से भी मरीजों की मदद करेगा, यह टूल मरीजों को अलग-अलग हिसाब से सुझाव भी देगा.
कैंसर के मरीजों की बढ़ रही संख्या
बता दें कि कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. भोपाल एम्स के मुताबिक 2025 तक 40 हजार से भी ज्यादा कैंसर के मरीजों का इलाज हो रहा है. क्योंकि फिलहाल हर साल 6 से 8 हजार तक नए मरीज पहुंच रहे हैं, ऐसे में 2025 तक यहां 40 हजार मरीजों का इलाज हो रहा होगा. इनमें भी सबसे ज्यादा मरीज 40 से 50 प्रतिशत मरीज सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित होते हैं. इसके अलावा महिलाओं में स्तन कैंसर के सबसे ज्यादा मामले हैं. लेकिन स्वदेशी डिजिटल टूल के आने से मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा.
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