पहले सूने पड़े रहते थे खेत, अब गर्मियों में भी हो रही खीरा-ककड़ी की खेती, MP के किसानों नें अपनाई ये तकनीक
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पहले सूने पड़े रहते थे खेत, अब गर्मियों में भी हो रही खीरा-ककड़ी की खेती, MP के किसानों नें अपनाई ये तकनीक

दमोह जिले के कई किसान अब गर्मियों में भी खीरा और ककड़ी जैसी सब्जियों की खेती कर रहे हैं, वो भी शेडनेट हाउस की मदद से. पहले गर्मियों में खेत सूने रहते थे, लेकिन अब शेडनेट हाउस लगाकर किसान इस मौसम में भी बंपर उत्पादन कर रहे हैं.

गर्मियों में भी हो रही खीरा-ककड़ी की खेती
गर्मियों में भी हो रही खीरा-ककड़ी की खेती

Cucumber Farming Tips: दमोह जिले के कई किसान अब गर्मियों में भी खीरा और ककड़ी जैसी सब्जियों की खेती कर रहे हैं, वो भी शेडनेट हाउस की मदद से. पहले गर्मियों में खेत सूने रहते थे, लेकिन अब शेडनेट हाउस लगाकर किसान इस मौसम में भी बंपर उत्पादन कर रहे हैं. इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें तापमान और नमी को कंट्रोल किया जा सकता है, जिससे सब्जियों की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है और कीटों का असर बहुत कम होता है. इससे किसानों को लागत कम और मुनाफा ज्यादा मिल रहा है.

इस खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी आगे आई है. उद्यानिकी विभाग किसानों को शेडनेट हाउस लगाने के लिए 50 प्रतिशत तक का अनुदान दे रहा है. एक शेडनेट हाउस जो लगभग 4 हजार वर्गमीटर में बनता है, उसकी कीमत करीब 32 लाख रुपए होती है. लेकिन इसमें से करीब 17 लाख रुपए का खर्च सरकार उठा रही है. जिले में अब तक करीब एक दर्जन किसानों ने यह सुविधा ले ली है और उनके खेतों में गर्मियों में भी हरी-भरी फसलें लहलहा रही हैं.

इस योजना से मिल रहा फायदा
जिला उद्यानिकी अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, यह योजना अटल भूजल योजना के तहत चलाई जा रही है, जिसका सबसे ज्यादा फायदा पथरिया ब्लॉक के किसानों को मिल रहा है. न सिर्फ अनुदान दिया जा रहा है, बल्कि किसानों को फसल लगाने और शेडनेट हाउस चलाने की पूरी ट्रेनिंग भी विभाग द्वारा दी जा रही है. चार किसानों के खाते में तो अनुदान की राशि पहुंच भी चुकी है और बाकी किसानों को भी जल्द राशि मिल जाएगी. विभाग का कहना है कि आने वाले समय में और ज्यादा किसानों को इस योजना से जोड़ा जाएगा.

आमदनी में जबरदस्त इजाफा
ग्राम बोतराई के किसान राजेश कुर्मी ने बताया कि पहले पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन लागत ज्यादा और मुनाफा कम होने से परेशानी थी. जब से उन्होंने शेडनेट में खीरा और ककड़ी उगाना शुरू किया है, उनकी आमदनी में जबरदस्त इजाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि सिर्फ चार महीने में ही दो लाख रुपए का फायदा हुआ है. इसी तरह नेगुंवा गांव के रघुवीर सिंह लोधी, लखरोनी के दौलत पटेल और बांसाकलां के किसान कृष्ण कुमार पांडे भी बता रहे हैं कि पहले गर्मी में खेती लगभग बंद हो जाती थी, लेकिन अब वे इस तकनीक से अच्छी कमाई कर रहे हैं. बाजार में खीरा 30 रुपए किलो तक बिक रहा है, जबकि थोक में भी 15 से 20 रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं.

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