MP का गजब सरकारी सिस्टमः कागजों में दो साल बाद जिंदा हुई महिला, पति अभी भी लापता
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MP का गजब सरकारी सिस्टमः कागजों में दो साल बाद जिंदा हुई महिला, पति अभी भी लापता

यह हैरान करने वाली कहानी है बैतूल जिले से सामने आई है, जहां एक महिला करीब दो साल बाद सरकारी कागजों में जिंदा हुई, लेकिन उसका पति अभी लापता बताया जा रहा है.  

जिंदा महिला को बता दिया मृत

बैतूलः सरकारी सिस्टम में किस तरह से लापरवाही होती हैं इसका एक नजारा मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में देखने को मिला है. जहां एक जिंदा बुजुर्ग महिला को मृत बता दिया. आपको जानकर आपको हैरानी होगी लेकिन हकीकत यही है कि सरकारी सिस्टम में मृत बता दी गयी महिला खुद को जिंदा साबित करने के लिए पिछले आठ माह से भटक रही थी. विडंबना है कि सुर्खियों में आने के बाद महिला को तो सरकारी दस्तावेजों में अब जिंदा बता दिया गया है. लेकिन उसके साथ रहने वाला पति आज भी कागजातों में लापता है.  

इस तरह महिला को चला खुद के मृत होने का पता 
यह हैरान करने वाली कहानी है बैतूल से महज 4 किलोमीटर दूर झाडेगांव की. यहां रहने वाली पुष्पा पावर नाम की एक बुजुर्ग महिला के बेटे की 22 अप्रैल 2021 को कोरोना के चलते मौत हो गई. ऐसे में मजदूरी करने वाली पुष्पा ने जब बेटे की मौत के बाद सरकारी सहायता के लिए मदद की गुहार लगाई तो वह खुद हैरान रह गयी. क्योंकि उसके संबल योजना के कार्ड में उसे मृत बता दिया गया था. जबकि उसके पति को लापता. इतना ही नहीं उसके मृतक बेटे को संबल योजना में अपात्र बता दिया गया था. जबकि उसके पास न तो कोई जमीन है और न कोई जायदाद. वहीं भी मजदूरी कर अपना परिवार चलाता था. इस तरह इस पूरे मामले का खुलासा हुआ. 

दरअसल, पुष्पा ने 2 अप्रैल 2018 को संबल योजना के लिए आवेदन किया था. जिस पर 5 मई 2018 को उसका पंजीयन कर दिया गया. ग्राम सचिव सीमा ने इस आवेदन का 6 सितम्बर 2019 को सत्यापन किया. जिसमें सत्यापन की स्तिथि में पुष्पा को अपात्र बताते हुए लिखा गया कि श्रमिक की मृत्यु हो गयी है. ऐसा ही पुष्पा के पति रमेश के मामले में भी कर दिया गया उसे अपात्र बताते  भौतिक सत्यापन में गैर मौजूद लिख दिया गया. रमेश आज भी इस सरकारी रिकार्ड में लापता है. जबकि वह अपनी पत्नी के साथ ही रहता है. 

कई महीनों तक भटकती रही महिला 
कोरोना से अपने एक एकलौते बेटे को खोने वाली पुष्पा पावर बीते आठ महीने से खुद को जिंदा साबित करने के लिए खूब भटकी. मामला सामने आने के बाद आनन फानन में उसे तो जिंदा बता दिया गया है. लेकिन उसका पति रमेश आज भी सरकारी फाइलों में लापता है. सिस्टम से गायब रमेश न तो कहीं गया था और न वह लापता हुआ है. इस पूरे मामले से समझा जा सकता है कि सरकारी सिस्टम में कितनी लापरवाही है. 

फिर भी नहीं सुधरी पूरी गलती 
जब मामला सामने आया तो श्रम विभाग ने महिला के बगैर अपील किये ही उसे अपने दस्तावेजों में जिंदा दिखाते हुए संबल योजना के लिए पात्र भी घोषित कर दिया है. उसके मृत पुत्र राजकुमार को भी पात्र की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है. लेकिन पुष्पा के पति रमेश को अब भी संबल का पोर्टल लापता बता रहा है. जब इस मामले में श्रम पदाधिकारी धम्मदीप भगत से बात की गई तो वहीं रटा रटाया जवाब मिला यह मामला जैसे ही उनके संज्ञान में आया पोर्टल में सुधार कर महिला को पात्र घोषित कर दिया गया है. इस मामले में किस स्तर पर गड़बड़ी हुई है. इसकी जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन सरकारी सिस्टम की इस लापरवाही से यह मामला चर्चा में बना हुआ है. 

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