आदिवासियों को रिझाने के बाद MP में इस वर्ग पर BJP की नजर, रैगांव की हार से जुड़ा है पूरा खेल
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आदिवासियों को रिझाने के बाद MP में इस वर्ग पर BJP की नजर, रैगांव की हार से जुड़ा है पूरा खेल

मध्य प्रदेश में आदिवासी वर्ग के बाद अब बीजेपी की नजर एक और बड़े वर्ग पर हैं, जिसको लेकर पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.

मध्य प्रदेश बीजेपी

भोपालः मध्य प्रदेश में बीजेपी अभी से 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. हाल ही में बीजेपी ने आदिवासी समाज के सम्मान में एक बडे़ कार्यक्रम का आयोजन किया था, ताकि अनसूचित जनजाति वर्ग को साधा जा सके. इस बीच अब भाजपा ने एक और वर्ग को साधने की शुरूआत  कर दी है. क्योंकि यह वर्ग चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए जरूरी है, ऐसे में बीजेपी ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. 

अनुसूचित जाति वर्ग को साधेगी बीजेपी 
दरअसल, मध्य प्रदेश में आदिवासी वर्ग के बाद अब बीजेपी की नजर अनुसूचित जाति वर्ग पर है. ऐसे में बीजेपी अभी से एससी वर्ग को साधने में जुट गई है. बीजेपी बाबा साहब अंबेडकर की जन्मस्थली महू और संत रविदास की जन्मस्थली पर बड़ा कार्यक्रम करने की तैयारी में है, दोनों ही जगहों पर बीजेपी बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर इस वर्ग को साधने की कोशिश में जुटेगी. 

16 फीसदी वोटरों पर बीजेपी नजर 
दरअसल, बीजेपी की मध्य प्रदेश के 16 फीसदी अनुसूचित जाति वर्ग के वोटरों पर नजर हैं. ऐसे में बीजेपी प्रदेश की 16 फीसदी अनुसूचित जाति को कनेक्ट करने की तैयारी में ताकि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस वर्ग का फायदा मिल सके. दरअसल, ऐसा इसलिए भी क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी का एससी (SC) सीटों पर ग्राफ गिरा है. ऐसे में बीजेपी इस ग्राफ को एक बार फिर से उठाने में जुट गई हैं. 

रैगांव उपचुनाव खतरे की घंटी 
दरअसल, दलित वोट बैंक को लेकर बीजेपी इसलिए भी अलर्ट हो गई है, क्योंकि रैगांव उपचुनाव में बीजेपी के लिए खतरें की घंटी बची है. रैगांव सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित थी और बीजेपी इस सीट पर लगातार जीतती आ रही थी. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली थी. लेकिन बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस 31 साल बाद इस सीट को जीतने में कामयाब रही. जिसे बीजेपी ने अपने लिए खतरें की घंटी माना. 

कम हो रही एससी वर्ग में पकड़ 
खास बात यह भी है कि 21  विधायक थे जबकि रैगांव उपचुनाव हारकर बीजेपी एक सीट और गंवा चुकी है, इस तरह प्रदेश में अब बीजेपी की सिर्फ 20 एससी सीटें बची हैं. ये कम होती सीटें बताती है मध्य प्रदेश में भाजपा का कनेक्शन अनुसूचित वर्ग के बीच में कम हुआ है. ऐसे में बीजेपी की एससी वर्ग की होती दूरी को मिटाने के लिए जनजातीय गौरव दिवस की तर्ज पर एससी महापुरुषों की स्थली पर बड़े आयोजन कर इस वर्ग को फिर से राह पर कनेक्ट करने की कोशिश करने की तैयारी में हैं. 

एससी वर्ग के लिए 35 विधानसभा सीटें आरक्षित 
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 28 एससी विधायक थे, जिनमें से कई मंत्री भी थे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 7 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि उसके कई मंत्रियों को भी हार का सामना करना पड़ा था. मध्य प्रदेश में एससी वर्ग के लिए 35 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं, जिनमें कांग्रेस भी अपनी पकड़ बनाने में जुटी हैं. बीजेपी के पूर्व मंत्री और प्रदेश महामंत्री हरिशंकर खटीक कहते हैं कि भाजपा एससी महापुरुषों की स्थली पर भव्य आयोजन करने की तैयारी में हैं, योजना तैयार हो चुकी है. जल्द ही इसकी रुपरेखा भी तैयार कर ली जाएगी. उनका कहना है कि पार्टी हमेशा से एससी वर्ग के हित में काम करती आई है और उनके विकास के लिए कई योजनाएं भी चलाई गई हैं. 

2018 में ऐसा था हाल 
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में एससी वोट बैंक ने बीजेपी से मुंह मोड़ लिया था, जिसका नतीजा यह रहा कि इस वर्ग के प्रभाव वाली 35 सीटों में से जहां भाजपा के पास 21 सीटें रह गई. इससे सत्ता तक पहुंचाने वाला सीटों का गणित बिगड़ गया था. ऐसे में भाजपा अब सतर्क है. पार्टी लगातार दलित नेताओं को भी साधने में जुटी है, पार्टी में दलित वर्ग का प्रमुख चेहरा रहे थावरचंद गहलोत की मोदी कैबिनेट से विदाई हुई तो उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बना दिया गया. उनकी जगह दलित वर्ग से डॉ. वीरेंद्र कुमार को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई. वहीं बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य को बनाया गया है. ऐसे में बीजेपी एक तरफ जहां आदिवासी वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए जुटी हुई हैं, तो दूसरी तरफ दलित पर भी उसकी नजर बनी हुई है. 

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