Building New India MP: मंत्री मोहन यादव का बड़ा बयान, MP में जल्द होगी 1 हजार भर्तियां, जल्द आएगा नोटिफिकेशन
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Building New India MP: मंत्री मोहन यादव का बड़ा बयान, MP में जल्द होगी 1 हजार भर्तियां, जल्द आएगा नोटिफिकेशन

 ZEE मीडिया के Building New India कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भी शिरकत की. 

उच्च शिक्षा मंत्री

Building New India MP: ZEE मीडिया के Building New India कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भी शिरकत की. इस दौरान शिक्षा मंत्री ने राज्य में शिक्षा और रोजगार की अपार संभावनाओं पर भी बात की. तो आइए जानते हैं कि मोहन यादव क्या बोले-

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 दिलीप तिवारीः रोजगार परख शिक्षा की चुनौती कितनी बड़ी है? 

ये विषय आज का नहीं है, ये 1835 पर जाएगा जब लॉर्ड मैकाले आए. लॉर्ड मैकाले ने अंग्रेजी शासन की नीतियों को मजबूत करने लिए एक शिक्षा नीति के नाम पर अपने शासन को मजबूत करने के लिए कुछ लोगों का समूह बनाना चाहते थे. हमारा दुर्भाग्य है कि 1947 में देश आजाद हुआ तो उसपर संसोधन होना था लेकिन नहीं हुआ. इंदिरा गांधी ने प्रयास किए लेकिन कुछ नहीं बदला. फिर राजीव गांधी के दौर में भी  कुछ खास नहीं बदला. लेकिन मैं मोदी जी को बधाई देना चाहता हूं कि नई शिक्षा नीति में कई बदलाव किए है. नई शिक्षा नीति जो बनाई है उसमें छात्रों के लिए हित की सारी चीजे हैं, व्यवसायिक शिक्षा को हमने बढ़ावा दिया है. इसी पर हमने प्लेसमेंट अधिकारियों की नियुक्ति प्रदेश की 52 जिलों में की गई है. 

उच्च शिक्षा के स्तर की बात करें तो एमपी कहां खड़ा है? आप एमपी के कॉलेजों की रैंकिग से खुश है?

हमारे यहां मिनिस्ट्री अलग-अलग बंटी हुई हैं. अगर आप उच्च शिक्षा की बात कर रहे हैं, जिनपर आईआईटी, आईआईएम है तो इनका मंत्रालय अलग है. मेडिकल शिक्षा का मंत्रालय अलग है. लेकिन नई शिक्षा नीति में बहुसंकाय व्यवस्थाएं है. इस बहुसंकाय व्यवस्थाएं में हमारे पास कमोवेश एग्रीकल्चर में भी तेजी से सुधार हो रहा है और छात्रों को फायदा मिल रहा है. 

 दिलीप तिवारीः शिक्षा मंत्री मोहन यादव की प्राथमिकता क्या हैं?

एमपी में 150 कॉलेज ऐसे हैं, जिसका खुद का भवन नहीं है, कोई किराए पर कोई पंचायत भवन में चल रहा है. लेकिन मेरे आने के बाद और कोरोना काल के बावजूद एक भी कॉलेज ऐसा नहीं बचा जिसके पास जमीन सरकार ने उपलब्ध करा दी और उसका खुद का भवन बनना शुरू न हो जाए. ऐसे हमने 150 कॉलजों के लिए हमने प्रयास प्रारंभ कर दिए है, जहां छात्रों को बैठने के लिए संख्या बढ़ाने की जरूरत थी. 1947 से अभी 2020 तक कोई काम उच्च शिक्षा में 500 करोड़ के नहीं हुए, लेकिन कोरोना काल में भी हमने डेढ़ हजार करोड़ के काम किए है.

दिलीप तिवारीः  वैकेंसी की प्रक्रिया लंबी है? व्यवस्था में बदलवा कैसे आएगा?

हम इसके लिए लगातार काम कर रहे हैं. हमने 800 पदों पर इसी साल भर्ती निकाली है. बैकलॉक भर्तियां भी हम तुरंत निकालने वाले हैं. पीएससी के माध्यम से इसे भरा जाएगा. यह कठिनाई सभी सेक्टर में आ रही है. हम अपनी तरफ से पूरी भर्ती कर रहे हैं. आरक्षण की वजह से भी कई नियुक्तियां कोर्ट में अटकी हुई है. हम सारे पद जल्द भर देंगे. हम लागातार इसपर काम कर रहे है. अतिथि विद्वानों को भी हमने कोरोनो में बाहर नहीं किया. वो महामारी के दौरान भी ऑनलाइन पढ़ा रहे थे. मंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में जल्द ही एक 1 लाख भर्तियां निकलेगी, जिससे छात्रों को रोजगार के अवसर पैदा होंगे. 

दिलीप तिवारीः क्या कॉलेज में कुलपति की नियुक्ति में राजनीति का दखल होना चाहिए?

वाइस चांसलर की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा होती है. उसकी एक पैनल बनती हैं, जिसमें शासन का भी एक प्रतिनिधि शामिल होता है. एक यूजीसी का मेंबर होता है. लेकिन मैं आपसे कहना चाहूंगा, महामहिम राज्यपाल के तरफ से भी कि हमारे कार्यकाल में ऐसी कोई नियुक्ति नहीं हुई, जिसमें किसी की क्षमता में, शैक्षणिक योग्यता पर हम उस पर प्रश्न उठाएं. आमतौर पर पूर्व आईपीएस की नियुक्तियां हो जाती थी, या किसी ओर क्षेत्र से हो जाती थी. लेकिन अब यूजीसी ने मापदंड बदले हैं, हमने भी उसपर भी काम किया है. क्षेत्र के जानकारों को हम लेकर आए हैं.

दिलीप तिवारीः छात्रसंघ का चुनाव होना चाहिए या नहीं?

मैं तो छात्रसंघ चुनाव से 100 प्रतिशत सहमत हूं. मैं खुद एबीवीपी के चुनाव से निकला हूं. 1982 में मैं पहली बार ज्वाइंट सैकटरी बना था, 1983-84 में प्रेसिडेंट बना. लेकिन फिलहाल में कोरोना काल में हम कॉलेज ही नहीं चला पा रहे है. लेकिन जैसे ही हालात सामान्य होंगे तो हम इस पर चर्चा करेंगे. सीएम खुद इससे सहमत हैं.

दिलीप तिवारीः खेलो इंडिया के हिसाब से हमारे एमपी के कॉलेज फिट है.

यह मेरा विभाग नहीं, इसका अलग से मंत्रालय है. जिसकी यशोधरा सिंधिया जी मंत्री हैं. लेकिन उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत स्पोर्टस टीचर हैं, अपने मैदान बनना चाहिए, लेकिन उससे आगे बढ़कर कह रहा हूं कि इस साल जो नई शिक्षा नीति लागू हुई है. बता दूं कि अभी तक खेलों को पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं रखा था, लेकिन अब खेल को भी पाठ्यक्रम में जोड़ा है. आने वाले समय में छात्रों की अंकसूची में इसका महत्व रहेगा. इसका अर्थ है कि हम खेल के लिए गंभीर है. उज्जैन में फिजिकल कॉलेज भी हमने खोला है, खेल को प्रोत्साहन देने का काम किया है.

दिलीप तिवारीः उच्च शिक्षा के विभाग के जरिए क्यों नए खिलाड़ी नहीं निकल रहे?

मैं फिर दोहरा रहा हूं, कि हमारे आपके समय में खेल हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं था, लेकिन आज की बात करूं तो हमारे पास अगर कॉलेज हैं, और उसमें मैदान नहीं है तो वो कॉलेज की श्रेणी में ही नहीं है. कॉलेज में खेल मैदान होना ही चाहिए. उसी तरह खेल का शिक्षक भी होना चाहिए. तो ये उसी तरह है कि खेल का महत्व उतना ही होना चाहिए जितना दूसरे पाठ्यक्रम का है. अब खेलोगे कूदोगे तो नवाब वाला जमाना आ रहा है.

दिलीप तिवारीः आने वाले 5 साल में आप मध्यप्रदेश को कहां देखते है?

ये मान कर चलता हूं कि आने वाले समय में हमारे अपने 32 राज्यों में मध्यप्रदेश का स्थान निश्चित रूप से पहले 10 राज्यों में आएगा, जिस ढंग से हम काम कर रहे हैं. कई मामलों में तो हम टॉप 10 से बढ़कर अच्छी स्थिति में आएंगे.

दिलीप तिवारीः उज्जैन को मध्यप्रदेश का आईना होना चाहिए था, क्या वहां वैसा विकास हो गया?

आपने उज्जैन की बात की, मैं वहां से विधायक भी हूं. एमपी के लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में भी है. उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री होने के नाते गर्व भी महसूस करता हूं कि यहां श्री कृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की थी. यहां विक्रम विश्वविद्यालय भी है. उज्जैन की पहचान कई प्रकार से है, इसमें सबसे खास बात ये है कि काल की गणना की नगरी होने से ये ग्रीनविच भी बनेगा कि जहां स्टैंडर्ड टाइम दुनिया में उज्जैन से जाना जाएगा. क्योंकि 300 साल पहले तक दुनिया में स्टैंडर्ड टाइम उज्जैन से ही होता था. हम साइंस की नजर से यहां काम कर रहे है. हम इसे वापस स्थापित करेंगे. नई साइंस सिटी उज्जैन में हम बनाएंगे. 

दिलीप तिवारीः विश्वविद्यालय में पूर्व छात्रों के लिए कोई योजना आप बना रहे हैं?

हां, हम पूर्व छात्र परिषद हम बनाने जा रहे हैं. यह विश्वविद्यालय औऱ जिला लेवल पर होगी. हर छात्र का अपने कॉलेज से लगाव होता है, तो आने वाले समय में वो बदलाव के लिए क्या-क्या कर सकता है, तो हम इसका स्वागत करेंगे. जो सुझाव वो देंगे हम उसपर अमल करेंगे. हम लगातार इनकी सेमिनार करवाएंगे. सागर में एक छात्र ने स्पोर्टस के लिए 2 करोड़ रुपये दिए, जबलपुर में एक छात्र ने 13 बीघा जमीन कॉलेज भवन को दे दी. ये लोग समाज में आदर्श बनेंगे. हम इन्हें प्रोत्साहित करेंगे. हम तो कॉलेज का नाम भी उस नाम पर रख देंगे.

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