अपाहिज सिस्टम की पोल खोलने 60 KM हांथों के बल चलकर दिव्यांग दंपत्ति कलेक्टर के पास पहुंचे
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अपाहिज सिस्टम की पोल खोलने 60 KM हांथों के बल चलकर दिव्यांग दंपत्ति कलेक्टर के पास पहुंचे

मंडला जिले के निवास तहसील में आने वाले हरिसिंगौरी गांव में एक दिव्यांग परिवार रहता है. लेकिन इस परिवार की राशन देने वाली पात्रता पर्ची ही निरस्त कर दी गई. 

कलेक्टर के पास पहुंचे दिव्यांग दंपत्ति

मंडलाः मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल मंडला जिले से बदहाल हो चुके लापरवाह सिस्टम की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है. जिसे देखकर हर कोई हैरान हो जाता है. क्योंकि इसी सिस्टम की लापरवाही से एक दिव्यांग परिवार को हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं इस दिव्यांग दंपत्ति को कलेक्टर के पास अपनी गुहार लगाने के लिए भी 60 किलोमीटर का सफर पैरों पर नहीं बल्कि अपने हाथों के बल चलकर तय करना पड़ा. जब यह दंपत्ति के कलेक्टर के ऑफिस में पहुंचा तो उन्हें देखकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए. 

60 किलोमीटर पैदल चले दिव्यांग दंपत्ति 
दरअसल, मंडला जिले के निवास तहसील में आने वाले हरिसिंगौरी गांव में एक दिव्यांग परिवार रहता है. लेकिन इस परिवार की राशन देने वाली पात्रता पर्ची ही निरस्त कर दी गई. जिसके चलते उन्हें पिछले 6 महीनों से हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये कि इस परिवार के लिए की अब दो वक्त का पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है. जब स्थानीय स्तर पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो यह दंपत्ति 60 किलोमीटर दूर से दो हाथों से चलकर अपर कलेक्टर के पास पहुंचे और पूरा मामला कलेक्टर को बताया. 

पीड़ित दिव्यांग दंपत्ति सेमसिंह और राधाबाई ने बताया 
दोनों चलने में असमर्थ है, बावजूद इसके सिस्टम ने राशन मिलने वाली उनकी पात्रता पर्ची को निरस्त कर दिया है. उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उनकी राशन की पात्रता पर्ची क्यों निरस्त की गई है. दिव्यांग सेमसिंह ने बताया कि उनकी मां भी दिव्यांग है. भाई महासिंह है वो भी अलग परिवार में रहता है जिसके चलते सेमसिंह के घर में कमाने वाला कोई नहीं है. उनके भोजन का प्रबंध सरकार की तरफ से मिलने वाले राशन से ही होता है. सेमसिंह के पास गरीबी रेखा का राशन कार्ड था लेकिन छह माह पहले उसकी पात्रता पर्ची निरस्त कर दी गई है, जिसके चलते अब दंपत्ति को राशन नहीं मिल रहा है और उन्हें अब दो वक्त की रोटी के लिए मुश्किल हो रही है.

पीड़िता दंपत्ति ने बताया कि परिवार का भरण पोषण पेंशन अभी तक उनके भाई द्वारा की जा रही मदद से हो रहा था. लेकिन अब उनके पास अपना पेट पालने का भी कोई उपाय नहीं है. कलेक्टर परिसर में मौजूद लोगों को इस घटना ने झंकझोंर कर रख दिया. दिव्यांग का यहां आना सिस्टम पर कई सवाल खड़े करना है. 

बहरहाल दिव्यांग दंपत्ति की शिकायत सुनकर प्रशासन भी नींद से जागा. मंडला जिले के अपर कलेक्टर मीना मसराम ने जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी के द्वारा तत्काल नाम कटने का कारण पता करने के निर्देश दिए. इसके अलावा उन्हें तुरंत नई पात्रता पर्ची जारी करने के आदेश भी दिए. मामले में अपर कलेक्टर का कहना है कि वह दिव्यांग का आवेदन लेकर अब जानकारी जुटा रहे हैं. अगर इस मामले में को लापरवाही सामने आती है तो उस पर कार्रवाई भी की जाएगी. 

आपको बता दे मंडला जिले में दिव्यांगों को घर पहुंचकर राशन देने के निर्देश पूर्व में ही जिला कलेक्टर के द्वारा जारी किये गये है. लेकिन विभागीय अधिकारियों के द्वारा लापरवाही बरती जा रही है. जिसके चलते जरूरतमंद दिव्यांगों को राशन नहीं ही मिल पा रहा है. आधार सीडिंग के दौरान कई पात्र हितग्राहियों के नाम काट दिये गये है. बहरहाल जिस हालत में दिव्यांग यहां तक पहुंचा है उसने सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए है. 

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